आम जिंदगी की तरह राजनीति के गलियारों में ऐसे कई किस्से हो जाते हैं, जो हमेशा के लिए यादगार बन जाते हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी ऐसे ही कई किस्से जुड़े हुए हैं, जो न सिर्फ सुनने में दिलचस्प है बल्कि इन किस्सों से उनके व्यक्तित्व के बारे में भी कई बातें पता चलती हैं।
ऐसा ही एक किस्सा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक अखबार के संस्मरण में लिखा है।
प्रणब लिखते हैं वो नरसिम्हा राव सरकार में वाणिज्य मंत्री थे। 1995 में उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ एक समझौता किया था। उस समझौते के तहत भारत को पेटेन्ट एक्ट में एक संशोधन करना था लेकिन बीजेपी और वाम दलों के विरोध की वजह से राज्यसभा में वह संशोधन बिल पास नहीं हो सका।
वाजपेयी सरकार ने उसी संशोधन बिल को संसद में फिर से पेश किया। प्रणब दा ने लिखा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने राज्यसभा में नेता विपक्ष मनमोहन सिंह से बिल पास कराने में सहयोग की अपील की और मुझसे मजाकिया लहजे में कहा, प्रणब दा यह आप ही का बच्चा है, आप क्यों नहीं समर्थन दे रहे?
इसके बाद प्रणब मुखर्जी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस बावत बात की। सोनिया गांधी ने उन्हें बिल के बारे में पार्टी के नेताओं को बताने को कहा। प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में दो घंटे तक लोगों को समझाया था साफ किया था कि मौजूदा बिल में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने बताया कि जैसा उन्होंने ड्राफ्ट किया था, बिल हू-ब-हू वैसा ही है। सिर्फ साल का अंतर है और वाणिज्य मंत्री का नाम बदला गया है। प्रणब के समझाने पर कांग्रेस ने राज्यसभा में बिल को समर्थन किया था फिर यह बिल पारित हो गया। बिल पारित होने पर वाजपेयी जी ने प्रणब दा को धन्यवाद दिया था…Next
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