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गुजरात में प्रवासी कर्मचारियों पर हमले को लेकर चौतरफा घिरे अल्पेश ठाकोर कौन हैं

गुजरात के साबरकांठा जिले में 14 माह की बच्ची के यौन शोषण के बाद राज्य में उत्तर भारतीयों, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमले के बाद वहां से लोगों का पलायन जारी है। ऐसे में घटना के बाद से यूपी और बिहार के लोगों के खिलाफ स्थानीय लोगों को भड़काने के पीछे राजनीतिक कनेक्शन देखा जा रहा है।
इस पूरे प्रकरण में एक नाम ऐसा है, जिस पर स्थानीय लोगों को यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ उकसाने का आरोप लग रहा है। अल्पेश ठाकोर, जो गुजरात के चर्चित नेताओं में से एक माने जाते हैं। वो गुजरात विधानसभा के सदस्य है। वो गुजरात के राधानपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी छवि पिछड़ा वर्ग के नेता रूप में रही है। साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी वो बहुत सक्रिय रहे हैं। गुजरात में करीब 50 फीसदी मतदाता पिछड़ा वर्ग से आते हैं। ऐसे में इस वर्ग के नेता किसी भी दल के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal11 Oct, 2018

 

 

कौन हैं अल्पेश ठाकोर
अल्पेश ठाकोर ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। गुजरात में 22 से 24 फीसदी ठाकोर हैं। अल्पेश ओबीसी समुदाय की आवाज बुलंद करने के लिए कई आंदोलन में भाग ले चुके हैं। वो अहमदाबाद के एंडला गांव के हैं, जो हार्दिक पटेल के गांव के पास में ही है। अल्पेश समाजसेवा के साथ ही खेती और रियल एस्टेट का कारोबार करते हैं। 23 अक्टूबर को उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। यह उनकी कांग्रेस में घर वापसी है। इससे पहले भी अल्पेश 2009 से 2012 तक कांग्रेस में रह चुके हैं।

2012 में लड़ा था जिला पंचायत का चुनाव
अल्पेश ठाकोर के पिता खोड़ाजी ठाकोर कांग्रेस के अहमदाबाद के ग्रामीण जिलाध्यक्ष रहे हैं। इसके पहले खोड़ाजी शंकर सिंह वाघेला के साथ बीजेपी से जुड़े थे। जब वाघेला ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया तो खोड़ाजी भी कांग्रेसी हो गए। हालांकि 2017 में ही शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस भी छोड़ दी, लेकिन खोड़ाजी बने रहे। उनके बेटे अल्पेश ने 2012 के जिला पंचायत चुनाव में मांडल सीट से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ा था। लेकिन वो हार गए थे। हालांकि इसके बाद अल्पेश ने अपना सियासी कद इतना बढ़ा लिया कि पहले बीजेपी और फिर कांग्रेस दोनों ने उनको अपनी ओर खींचने की कोशिश की। कांग्रेस को इसमें कामयाबी भी मिली और चुनाव के ठीक पहले अल्पेश कांग्रेस में शामिल हो गए।

 

 

2012 में बनाई गुजरात क्षत्रिय-ठाकोर सेना
अल्पेश ने 2012 में गुजरात क्षत्रिय-ठाकोर सेना का निर्माण किया। उनकी सेना ने राज्य में बिक रही अवैध शराब के खिलाफ मुहिम के लिए उन्होंने गुजरात क्षत्रिय-ठाकोर सेना का गठन किया। इस मुहिम से ही उन्हें ओबीसी का साथ मिला। फरवरी 2017 में अहमदाबाद में ओबीसी की एक रैली में उन्होंने ऐलान किया कि गुजरात का अगला मुख्यमंत्री बीजेपी से नहीं, हमारा होगा। उनके इस संगठन में 6।5 लाख लोग रजिस्टर्ड हैं।

 

पाटीदार आरक्षण विरोध और किसानों की कर्जमाफी के लिए आंदोलन
अल्पेश ने पाटीदारों को आरक्षण दिए जाने की मांग का विरोध किया था। उन्होंने इसके समांतर आंदोलन भी चलाया था। ओबीसी, एससी और एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ने अलग-अलग मंचों से गुजरात की हालत खराब होने की बात कही है। वह कहते हैं कि विकास सिर्फ दिखावा है। गुजरात में लाखों लोगों के पास रोजगार नहीं है। इसके अलावा 6 जुलाई 2017 को मीडिया में तस्वीरें आईं कि गुजरात की सड़क पर किसान दूध बहा रहे हैं। ये किसान कर्जमाफी की मांग कर रहे थे। इस आंदोलन के पीछे भी अल्पेश ठाकोर का ही हाथ था। उन्होंने किसानों को संगठित किया और कहा कि वो लोग अपना दूध शहरों तक न भेजें। अल्पेश के समर्थन में किसानों ने दूध सड़क पर बहा दिया। इस पर भी किसानों की बात नहीं मानी गई, तो अल्पेश ने आमरण अनशन करने की चेतावनी दी। इससे पहले अल्पेश ने गुजरात सरकार से बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति की मांग को लेकर आंदोलन किया था।

 

 

गुजरात के स्थानीय लोगों को उकसाने का आरोप
उनकी उग्र विचाराधारा और आंदोलन को देखते हुए और इसके अलावा अल्पेश ठाकोर पर ऐसे आरोप से लोगों के बीच शक इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि यौन शोषण की शिकार बच्ची ठाकोर जाति से ही है। ऐसे में कई राजनीति पार्टियां बिहार-यूपी के लोगों के खिलाफ भड़काने में अल्पेश का हाथ भी मान रही हैं…Next 

 

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