मायावती की सरकार को सत्ता से बाहर कर उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी अपने पुराने धड़े पर चलते हुए दिखाई दे रही है. अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने अपने ताजा फैसले में अमर सिंह, फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और फ्लेक्स कंपनी के मालिक एके चतुर्वेदी के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग का केस आर्थिक अपराध शाखा से वापस ले लिया है. 2009 में बसपा की सरकार के वक्त अमर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. तब अमर सिंह समाजवादी पार्टी के महासचिव थे. अब ये मामले कानपुर पुलिस को सौंप दिए गए हैं.
यूपी सरकार द्वारा लिए इस फैसले की एक तरह से राजनीतिक हलकों में कड़ी आलोचना की जा रही है. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अरविंद केजरीवाल ने सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को शर्मनाक बताया तो दूसरी तरफ राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि सरकार के इस फैसले से मुलायम सिंह यादव ने संकेत दिए हैं कि अमर सिंह और मुलायम सिंह फिर से दोस्त बन सकते हैं.
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गौरतलब है कि मुस्लिम नेताओं के चलते समाजवादी पार्टी में महत्व कम होने की वजह से अमर सिंह ने जनवरी 2010 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. तब यह माना जा रहा था कि पार्टी के बड़े नेता आजम खान की वजह से उनकी छुट्टी हुई थी. इस्तीफा देने के बाद अमर सिंह हाशिए पर चले गए. 2011 में उनके ऊपर यह भी आरोप लगा था कि उन्होंने 2008 में भारत-अमरीका परमाणु समझौते को लेकर यूपीए सरकार को समर्थन देने के लिए बीजेपी के सांसदों को रिश्वत की पेशकश की थी. अमर सिंह ने उत्तर प्रदेश चुनाव 2012 को देखते हुए अपनी पार्टी भी बनाई थी जो चुनाव में कुछ नहीं कर पाई.
समाजवादी पार्टी से बिछड़ने के बाद हाल ही में अमर सिंह ने परिवार और बच्चों का हवाला देते हुए राजनीति से संन्यास ले लिया था. अब मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी ने अपने इस फैसले से एक बार फिर राजनीति से दूर होते अमर सिंह में जान फूंकने की कोशिश की है. पार्टी आलाकमान ने संकेत दे दिए हैं कि अमर दुबारा पार्टी से जुड़ सकते हैं.
अब एक सवाल जहन में उभरता है कि कुछ महीने पहले जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता और मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया था तब यह कहा जाने लगा कि अखिलेश के शासन में उत्तर प्रदेश की हालत सुधरेगी. लेकिन अखिलेश को सत्ता में बने हुए लगभग आठ महीने हो चुके हैं और सुधार नहीं हुआ. हां एक चीज जरूर हुआ. बलात्कार की घटनाएं बढ़ीं, जगह-जगह सांप्रदायिक दंगे भड़के और बड़ी संख्या में गुंडे और अपराधी जेल से बाहर निकले.
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