एक बेहद चौंकाने वाली खबर आई है और ये ऐसी खबर है शायद जिसका अंदाजा कइयों को पहले से था. खबर है कि अन्ना हज़ारे ने केजरीवाल से कहा है कि वह उनका नाम और तस्वीरें अपने किसी आंदोलन या मकसद के लिए ना इस्तेमाल करें. अन्ना कहते हैं कि “कुछ लोगों को लगता है कि पार्टी बनाने से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है लेकिन मैं पहले से कहता रहा हूं कि चुनाव नहीं लड़ूंगा और उन्हें मेरी शुभकामनाएं रहेंगी.” अन्ना ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा कराए गए जनमत सर्वेक्षण को भी खारिज कर दिया और कहा, ‘मुझे फेसबुक, इंटरनेट के माध्यम से कराए गए सर्वेक्षण पर भरोसा नहीं है’ इंडिया अगेंस्ट करप्शन केसर्वे में 76 फीसदी लोगों ने राजनीतिक दल बनाने के पक्ष में राय दी है. सातलाख से अधिक लोगों के बीच एसएमएस, ईमेल और व्यक्तिगत रूप से मिलकर सर्वेकिया गया था.
यह वो खबर है जो साफ कर देती है कि अन्ना हजारे और केजरीवाल के रास्ते अलग-अलग हो चुके है. अब सवाल यह है कि क्या सिर्फ भ्रष्टाचार की लड़ाई एक राजनीतिक दल बनाने तक सीमित थी या फिर अन्ना के नाम का प्रयोग करके राजनीति की गई थी.
राजनीतिक दल बनाने या ना बनाने से ज्यादा जरूरी तर्क-वितर्क यह है कि भ्रष्टाचार से लड़ने की उस शुरुआत का क्या हुआ जिसे बड़े जोर-शोर से शुरू किया गया था. हालांकि यह सच है कि राजनीति में उतरे बिना राजनीति को साफ नहीं किया जा सकता पर उससे बड़ा सच यह है कि आप जिस तरीके से एक आंदोलन की शुरुआत करते हैं आपको उसी फैसले पर स्थिर रहते हुए आगे की लड़ाई लड़नी होती है क्योंकि रास्ते बदलने से बहुत बार मंजिल तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
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अन्ना हजारे जिनकी बातों से कल तक सिर्फ दो रास्ते हो जाने की बात का संदेह होता था वो आज यकीन में बदल गया है और इस घटना के बाद केजरीवाल और किरण बेदी की टिप्पणी जन लोकपाल बिल को सवालों के घेरे में खड़ा कर देती है. केजरीवाल ने ट्वीट किया कि देश बिक रहा है, वह बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है. मैं अपने देश को बचाने के लिए जो भी संभव होगा करूंगा.इसके बाद फिर राजनीतिक पार्टी के गठन की विरोधी किरण बेदी ने ट्वीट किया, ‘अन्ना ने आखिरकार खुद को राजनीतिक विकल्प से दूर कर लिया. अब यह दो टिप्पणियां इस बात को साफ जाहिर करती हैं कि अन्ना हजारे की टीम भी अब राजनीति के खेल से दूर नहीं है. शुरुआत तो बहुत संयोगपूर्ण थी पर अब एक-दूसरे पर टिप्पणी कसने का खेल भी अन्ना हजारे की टीम में नजर आ रहा है.
अन्ना ने कहा कि ‘अगर जनलोकपाल विधेयक नहीं आया तो वह प्राण त्याग देंगे’पर अब अन्ना को सोचना होगा क्या वो जनलोकपाल विधेयक को लाने की लड़ाई में एकला चलने वाले हैं या फिर एक नई टीम बनाई जाएगी जो केजरीवाल की राजनीतिक पार्टी से दूरी रखते हुए जनलोकपाल की लड़ाई को जारी रखेगी.
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