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आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रह चुके हैं अरुण जेटली, जेपी नारायण के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ चुके हैं लड़ाई

मोदी सरकार में सबसे तेज तर्रार नेताओं में से एक हैं अरूण जेटली। उन्हें सरकार बनने के कुछ समय बाद रक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी अस्थायी रूप से सौंपा गया था। वहीं, वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। तब उन्हें उद्योग एवं वाणिज्य और कानून मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। अब वर्तमान में वो वित्तमंत्री हैं। उनके राजनीतिक जीवन की बात करें, तो छात्र राजनीति के समय से अरूण जेटली कई आंदोलनों में भाग लेते आए हैं। आज उनका जन्मदिन है, एक नजर उनके सफर पर।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal28 Dec, 2018

 

 

डीयू स्टूडेंट यूनियन के रह चुके हैं अध्यक्ष
अरुण जेटली ने नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से 1957-69 तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और डीयू से 1977 में लॉ की डिग्री ली। अपनी पढ़ाई के दौरान जेटली को अकादमिक और पाठ्येतर क्रियाकलापों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई सम्मान मिले। डीयू में पढ़ाई के दौरान ही वे 1974 में डीयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। जेटली सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर भी रह चुके हैं।

 

 

आपातकाल के दौरान 19 महीने रह चुके हैं जेल में
अरुण जेटली दिल्ली यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े और 1974 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। इमरजेंसी (1975-1977) के दौरान जेटली को मीसा के तहत 19 महीना जेल में भी काटना पड़ा। राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाये गए भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन में भी वो प्रमुख नेताओं में से थे। जय प्रकाश नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र और युवा संगठन समिति का संयोजक नियुक्त किया। वो नागरिक अधिकार आंदोलन में भी सक्रिय रहे और सतीश झा और स्मिता कोठारी के साथ पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बुलेटिन की शुरुआत की। जेल से रिहा होने के बाद वह जनसंघ में शामिल हो गए।

 

 

 

वाजपेयी सरकार में बन चुके हैं सूचना प्रसारण राज्य मंत्री
1991 से ही अरुण जेटली बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1999 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता बना दिया गया। एनडीए की सरकार में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया।

उन्हें विशिष्ट वाक्पटुता कौशल और किसी विषय में गहन अनुसंधान के बाद बोलने का श्रेय दिया जाता रहा…Next

 

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