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मध्य प्रदेश की वो विधानसभा सीट जहां जाने से बचते हैं नेता, यहां आने के बाद कई सीएम गंवा चुके हैं कुर्सी

कई लोग शनिवार को काले कपड़े पहनकर आते हैं, वहीं कुछ लोग मंगलवार को पीले कपड़े पहनकर आते हैं। सभी की अपनी-अपनी मान्यता है। हम में से बहुत लोग ऐसी बातों पर भरोसा करते हैं, कभी-कभी संयोग बार-बार होने पर, उसे और भी गंभीरता से लिया जाता है।
राजनीति भी ऐसे संयोगो से अछूती नहीं है। मध्यप्रदेश के अशोक नगर की विधानसभा सीट के बारे में भी एक ऐसा मिथक है, जिससे कई नेता यहां आने से बचते हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal25 Oct, 2018

 

 

कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री अब तक अशोक नगर आया वह अपनी कुर्सी गंवा चुका है। यही वजह है कि बड़े-बडे़ नेता यहां आने से डरते हैं।
आइए, जानते हैं कौन से मुख्यमंत्रियों को यहां आने के बाद गंवानी पड़ी है सीट।

 

प्रकाश चंद्र सेठी

 

 

1975 कामें एमपी में उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी और प्रकाश चंद्र सेठी मुख्यमंत्री हुआ करते थे। इसी साल सेठी पार्टी के एक अधिवेशन में शामिल होने अशोक नगर आए थे और इसी साल 22 दिसंबर को उन्हें राजनीतिक कारणों से कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

 

श्यामा चरण शुक्ला

 

एमपी और छत्तीसगढ़ की सियासत के बड़े नाम रहे श्यामा चरण शुक्ला से जुड़ा है। साल 1977 में जब श्यामा चरण मुख्यमंत्री थे तब वो अशोकनगर के तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने आए। इसके करीब दो साल बाद जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, तो उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी।

 

अर्जुन सिंह

 

मध्य प्रदेश की राजनीति के दिग्गज कहे जाने वाले अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री से गवर्नर बनने की कहानी भी अशोकनगर से जोड़ कर देखी जाती रही है। 1985 में अर्जुन सिंह एमपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने भी अशोक नगर का दौरा किया। इसी बीच सियासी हालात ऐसे बन गए कि पार्टी ने अर्जुन सिंह को मध्य प्रदेश से पंजाब भेजने का फैसला किया और उन्हें पंजाब का गवर्नर बना दिया गया।

 

मोतीलाल वोरा

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के बारे में भी यह कहा जाता है कि अशोकनगर आने के बाद ही वो मुख्यमंत्री नहीं रहे। दरअसल, 1988 में रेलमंत्री रहे माधवराव सिंधिया के साथ मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा अशोक नगर के रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इसके कुछ वक्त बाद ही वोरा मुख्यमंत्री नहीं रहे थे।

 

सुंदरलाल पटवा

 

 

1992 में मध्य प्रदेश के सीएम रहे सुंदरलाल पटवा जैन समाज के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने अशोक नगर गए थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया और पटवा को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।

 

दिग्विजय सिंह

 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सत्ता गंवाने का मिथक भी अशोक नगर से जोड़कर देखा जाता रहा है। दरअसल, 2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद खाली हुई लोकसभा सीट पर पार्टी ने उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट दिया। उस वक्त दिग्विजय उन्हीं का प्रचार करने अशोकनगर गए थे। सिंधिया तो उपचुनाव जीत गए, लेकिन 2003 में दिग्विजय ने सत्ता गंवा दी…Next

 

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