पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के ऐसे राजनेता हैं, जिनका सम्मान विरोधी पार्टियां भी करती हैं। खबर आ रही है कि, पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठतम नेता अटल बिहारी वाजपेयी को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि एम्स ने इस बारे में बयान जारी कर कहा कि उनका हालत स्थिर है। एम्स की ओर से कहा गया है कि अजट जी इस समय कॉर्डियो न्यूरो सेंटर में हैं। किसी को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं है, उनके पास फिलहाल कोई नहीं जा सकता। मालूम हो कि 93 वर्षीय अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, वे 2009 से व्हीलचेयर पर हैं। तो चलिए एक नजर उनके राजनेतिक करियर पर।
दिल्ली में पत्रकार के रूप में करते थे काम
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 1953 में वे दिल्ली में पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे। इस दौरान भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ थे। वाजपेयी बताते हैं कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम का विरोध करने के लिए जम्मू-कश्मीर चले गए। पत्रकार के नाते वाजपेयी उनके साथ थे। परमिट सिस्टम के तहत किसी भी भारतीय नागरिक को जम्मू-कश्मीर में बसने की अनुमति नहीं थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर जाने के लिए हर भारतीय नागरिक के पास पहचान पत्र होना जरूरी था। डॉ. मुखर्जी इस प्रावधान के खिलाफ थे।
डॉ. मुखर्जी की अस्पताल में हो गई मौत
इंटरव्यू में वाजपेयी ने बताया, ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर आंदोलन के सिलसिले में परमिट सिस्टम को तोड़कर श्रीनगर गए थे। पत्रकार के नाते मैं उनके साथ था। वो गिरफ्तार कर लिए गए, हमलोग वापस आ गए। डॉ मुखर्जी ने मुझसे कहा, वाजपेयी जाओ और दुनियावालों को कह दो कि मैं कश्मीर में आ गया हूं, बिना किसी परमिट के। थोड़े ही दिन बाद ही कश्मीर में नजरबंदी की अवस्था में, सरकारी अस्पताल में डॉ. मुखर्जी की मौत हो गई।
इस घटना ने वाजपेयी को राजनीति में आने के लिए किया प्रेरित
इस घटना ने वाजपेयी जी को बेहद दुखी किया और इसी घटना ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। इसी इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मुझे लगा कि मुझे डॉ. मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाना चाहिए। इसके बाद पत्रकार अटल बिहारी वाजपेयी ने पॉलिटिक्स में कदम रखा। सन् 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बनकर लोकसभा में पहुंचे। 1996 में वे पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार मात्र 13 दिनों तक चली। 1998 में वे दोबारा प्रधानमंत्री बने और 2004 तक इस पद पर रहे।
लखनऊ से लोकसभा सदस्य थे वाजपेयी
बता दें कि वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वह बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं। 25 दिसम्बर, 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा था। भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था।…Next
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