मजाक में ही सही अपने भाषणों और बयानों से भारतीय राजनीति और नेताओं की असल रूपरेखा प्रस्तुत करने वाले कांग्रेसी नेता और केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी पर बयान देते हुए मुलायम सिंह के राजनीति करने के तौर-तरीकों पर ही सवाल उठा दिए. यूपी सरकार यानि समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा है कि सरकार मुस्लिम लड़कियों को शादी और पढ़ाई के लिए 30 हजार रुपये देने की योजना चला रही है. सरकार ऐसा 95 फीसदी अनुसूचित जाति, 25 फीसदी पिछड़ों और 10 फीसदी सामान्य वर्ग के लोगों को दरकिनार करके कर रही है.
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ऐसे में बेनी ने मुलायम सिंह पर सवाल दागते हुए पूछा कि क्या सिर्फ मुसलमान ही गरीब हैं? अगर बेनी प्रसाद के इस बात पर गौर फरमाएं तो उन्होंने मुलायम सिंह के राजनीति करने के उस तरीके पर सवाल उठा दिया है जो वह पिछले कई सालों करते आ रहे थे. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी के लिए मुसलमान वोट अहम होते हैं. चुनाव में यह वर्ग उनकी पार्टी के लिए केंद्र बिंदु रहता है. चुनाव के समय राज्य में कई सीट इसी वर्ग की वजह से समाजवादी पार्टी के पाले में आते हैं.
इस बात की पुष्टि उस समय और अधिक हो गई जब मुलायम सिंह ने 2009 के लोकसभा के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में शामिल किया था. नतीजा यह हुआ कि चुनाव में जितनी सीट की उम्मीद मुलायम सिंह ने लगा रखी थी उससे बहुत ही कम सीटें उन्हें हासिल हुईं. 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 35 सीटें मिली थीं जो घटकर 2009 के लोकसभा के चुनाव में 23 रह गईं. पार्टी को अहसास हुआ कि उनका अस्तित्व ही मुसलमानों पर टिका हुआ है. वह मुसलमानों से इतर किसी भी तरह की राजनीति नहीं कर सकते इसलिए सबसे पहले उन्होंने कल्याण सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया और 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए वह फिर मुसलमानों से पूरी तरह से जुड़ गए. जिसका नतीजा पार्टी को भारी बहुमत के रूप में सामने आया. समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा 224 सीटें हासिल हुए.
जानकारों का मानना है कि जिस तरह से समाजवादी पार्टी की योजना मुसलमानों को लेकर केंद्रित होती है उससे दूसरे वर्ग जिनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय है वह काफी नाराज हो जाएंगे. लेकिन शायद मुलायम सिंह इस बात से इतेफाक नहीं रखते. मुलायम अपनी इस तरह की योजना से राजनीतिक भविष्य की बाट जोह रहे हैं. वह समझते हैं कि जो समर्थन 2012 के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों से मिला था वही समर्थन 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मिले ताकि जो उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रखा है वह पूरा हो जाए.
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