येन केन प्रकारेण नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार बन गए. शाम 6 बजे के करीब भाजपा ने आधिकारिक तौर पर मोदी के नाम की घोषणा कर दी. टीवी पर पूरे प्रकरण को लाइव दिखा रहे समाचार चैनल्स की झलकियों में भाजपा कार्यालय के बाहर का जो नजारा दिख रहा था वह किसी उत्सव मनाने का सा माहौल बना रहा था. जैसा कि स्वाभाविक था बीबीसी हिंदी ने भाजपा की इस घोषणा को नाम दिया ‘मोदी बने भाजपा के पीएम’! इसके साथ ही पिछले 10 दिनों से लगातार चल रहे इस बहस का पटाक्षेप हो गया. इससे पहले खबरिया भाषा में बोलें तो ‘पूरे दिन हाइ वोल्टेज ड्रामा’ चला.
यह तो पहले से ही तय था कि मोदी ही भाजपा के पीएम उम्मीदवार होंगे और आज भाजपा इसकी घोषणा करेगी, इसके बावजूद इस पर कई सारी घटनाएं अंत तक सबका पार्टी के अंदर खींचतान को लेकर चलती रही. पहले ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि अगर लालकृष्ण आडवाणी नहीं माने तो हो सकता है घोषणा फिर से कुछ दिनों के लिए टल जाए लेकिन नरेंद्र मोदी के आज शाम दिल्ली पहुंचने के साथ ही यह साफ हो गया मोदी यहां घोषणा के लिए ही पहुंचे हैं.
खबर आई कि सुषमा स्वराज भी अंतिम समय में मोदी के नाम पर मुहर लगाने के लिए मान गई हैं और अगर लालकृष्ण आडवाणी नहीं माने तो पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह इसकी घोषणा कर देंगे. लेकिन भाजपा की संसदीय बैठक में सबसे वरिष्ठ नेता आडवाणी की गैरमौजूदगी में इस घोषणा की आशंका पर थोड़ा शक फिर भी हो रहा था. हर पल की खबर वरीयता से हर समाचार चैनल दिखा रहा था और पल-पल जैसे मोदी के नाम पर कोई नया विवाद छिड़ने वाला हो. केंद्र में आडवाणी ही थे तो जाहिर है उनकी सहम्ति पर समकी निगाहें टिकी थीं. अचानक खबर आई कि आडवाणी मान गए हैं. आखिर 5 बजे होने वाली घोषणा का समय 5:30 और फिर शाम के 6 बजे तक पहुंच गए. कि अचानक फिर एक खबर आई कि संसदीय बैठक के लिए घर से निकलने वाले आडवाणी आधे रास्ते से वापस आ गए हैं. वह भी जाने का अंदाज क्या था ‘बताया जा रहा था कि आडवाणी आधे रास्ते से गाड़ी से उतरकर वापस चले गए हैं’.
फिर से इस घोषणा में अटकलें लगने के कयास लगाए जा रहे थे. हो सकता है खबरिया चैनलों और मीडिया हाउसेस को लगा हो कि किसी और दिन के लिए फिर से एक बड़ी खबर मिल जाएगी अगर यह टल गया. शायद उनकी टीआरपी के लिए यह अच्छा ही था. लेकिन सारी अनिश्चित संभावनाओं को गलत बताते हुए अचानक खबर आई कि भाजपा ने मोदी के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में घोषणा कर दी है. और इस तरह इस पूरे घटनाक्रम में संशय की सारी परिस्थितियों का पटाक्षेप हो गया. आखिरकार जो होना था वह हो गया. कौन रूठा, कौन मनाएगा, कैसे मनाएगा यह सब बाद की बातें हैं. फिलहाल तो यही दिख रहा है कि मोदी वरिष्ठ नेताओं के आशीर्वाद ले रहे हैं. सबसे बड़ी बात जो सबसे बड़ा बहस का मुद्दा और इन सारी घटनाओं के केंद्र में है वह यह कि अगले लोकसभा में अब मोदी भाजपा के लिए कोई कमाल करेंगे? इसके साथ ही भाजपा के लिए यह एक सवाल छोड़ जाती है कि संघ और भाजपा गठजोड़ के रूप में भाजपा का यह फैसला कितना सही साबित होगा? इसका जवाब भविष्य में छुपा है पर हर किसी को इस जवाब का इंतजार रहेगा.
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