उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा ने इन दोनों सीटों पर कब्जा किया। उपचुनाव से पहले गोरखपुर और फूलपुर की इन दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा था। इन सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो मायावती से मिलकर उनका आभार जताने भी गए थे। उन्होंने खुद भी स्वीकार किया था कि बसपा के समर्थन के बिना यह जीत शायद संभव न होती। अब राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रमुख ने अखिलेश से उपचुनाव में समर्थन के बदले कुछ राजनीतिक रिटर्न गिफ्ट मांग लिया है। खबरें आ रही हैं कि मायावती के गिफ्ट मांगने से जया बच्चन के लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है। आइये आपको विस्तार से इस मामले की जानकारी देते हैं।
क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए मांगे समर्पित विधायक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव में एसपी कैंडिडेट को समर्थन देकर बड़ी जीत दिलाने वाली बसपा प्रमुख मायावती ने अब अखिलेश से ‘रिटर्न गिफ्ट’ सुनिश्चित करने को कहा है। खबरों की मानें, तो राज्यसभा चुनाव के लिए मायावती ने अखिलेश यादव से अपने कैंडिडेट भीमराव अंबेडकर के समर्थन के लिए 10 समर्पित विधायकों को अलॉट करने को कहा है। मायावती ने अखिलेश से समर्पित समाजवादी विधायकों को ही आवंटित करने की बात इसलिए कही है, ताकि उनके 10 वोट पक्के हो सकें और क्रॉस वोटिंग से बचा जा सके।
जया बच्चन के खिलाफ क्रॉस वोटिंग का खतरा
माना जा रहा है कि यदि अखिलेश यादव ऐसा करते हैं, तो उनके समक्ष 23 मार्च को अपनी ही पार्टी की उम्मीदवार जया बच्चन को जीत दिलाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के पास कुल 47 विधायक हैं। एक राज्यसभा सीट के लिए 37 वोटों की जरूरत है। यदि समाजवादी पार्टी की ओर से 10 सुनिश्चित वोट वाले विधायक बसपा को दे दिए जाते हैं, तो उसकी अपनी उम्मीदवार जया बच्चन के खिलाफ क्रॉस वोटिंग का खतरा रहेगा। इन 47 विधायकों में सपा छोड़कर भाजपा में जाने वाले नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी शामिल हैं।
भाजपा ने 9वां प्रत्याशी उतारकर मुश्किल में डाला
खबरों की मानें, तो मायावती के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अखिलेश यादव से कहा है कि वे उनके कैंडिडेट को वोट करने के लिए खांटी विधायकों को आवंटित करें, जो भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग न करें। सियासी पंडितों का मानना है कि 8 राज्यसभा उम्मीदवारों को आसानी से जीत दिलाने की क्षमता रखने वाली भाजपा ने 9वां प्रत्याशी उतारकर असल में सभी पार्टियों के समीकरणों को मुश्किल कर दिया है। इसी वजह से गोरखपुर और फूलपुर में सपा कैंडिडेट को बड़ी जीत दिलाने के बाद मायावती ने अखिलेश से यह मांग की है।
राज्यसभा चुनाव सपा-बसपा के संभावित गठबंधन की परीक्षा
सियासी गलियारों में इसकी चर्चा जोरों पर है कि यह राज्यसभा चुनाव सपा-बसपा के संभावित गठबंधन की परीक्षा है। अगर सपा की ओर से बसपा प्रत्याशी का समर्थन सुनिश्चित नहीं किया जाता है, तो यह मायावती के लिए चिंताजनक बात होगी और गठबंधन की संभावनाएं भी इससे क्षीण होंगी। दअरसल, नियम के मुताबिक सभी राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के लिए विधायकों को अलॉट करना होगा। एक कैंडिडेट को जीत के लिए 37 वोटों की जरूरत होगी। 47 विधायकों वाली सपा 10 वोट बसपा को दे सकती है। नरेश अग्रवाल के बेटे के भाजपा के पक्ष में वोटिंग की पूरी संभावना है। ऐसे में अखिलेश को अंबेडकर या जया में से किसी एक प्रत्याशी को चुनना होगा। 19 विधायकों के साथ मायावती को अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए सपा के 10, कांग्रेस के 7 और आरएलडी के एक विधायक का सहारा है। इन तीनों दलों ने विधानसभा में पहले ही बसपा कैंडिडेट के समर्थन का पत्र सौंप दिया है…Next
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