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Mayawati – मायावती

mayawatiमायावती का जीवन परिचय

देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था. मायावती का संबंध गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बादलपुर से है. इनके पिता प्रभु दास, गौतम बुद्ध नगर के ही डाक विभाग में कार्यरत थे. दलित और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से संबंधित होने के बावजूद इनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा. मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि की परीक्षा और वीएमएलजी कॉलेज, गाजियाबाद (मेरठ यूनिवर्सिटी) से शिक्षा स्नातक की उपाधि प्राप्त की. कुछ वर्षों तक वह दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षण कार्य भी करती रहीं. लेकिन वर्ष 1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद मायावती ने पूर्णकालिक राजनीति में आने का निश्चय कर लिया. कांशीराम के नेतृत्व के अंतर्गत वह उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं, जब सन् 1984 में उन्होंने बसपा की स्थापना की थी. वर्ष 2006 में कांशीराम के निधन के बाद मायावती बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष बन गईं.


मायावती का व्यक्तित्व

भारतीय समाज में यह धारणा व्याप्त है कि किसी महिला की पहचान उसके पति से ही होती है, मायावती ने इस कथन को आधारहीन साबित कर दिया है. अविवाहित होने के बावजूद आज वह सफल राजनेत्री के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं. उन्होंने अपनी मजबूत छवि का निर्माण अपनी योग्यता और वैयक्तिक विशेषताओं के बल पर किया है. वह एक आत्म-निर्भर महिला हैं. उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास और दृड़ता कूट-कूट कर भरी है.


मायवती का राजनैतिक सफर

वर्ष 1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद उन्होंने अध्यापन कार्य छोड़ राजनीति में आने का निश्चय कर लिया था. जब 1984 में कांशीराम द्वारा बहुजन समाज पार्टी(बीएसपी) का गठन किया गया. उस समय मुजफ्फरनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट से मायावती को चुनाव लड़ाया गया. इसके बाद हरिद्वार और बिजनौर सीट के लिए भी मायावती को ही प्रतिनिधि बनाया गया. पहली बार बिजनौर सीट से जीतने के बाद ही मायावती लोकसभा पहुंची थीं. वे वर्ष 1995 में राज्यसभा सदस्य भी रहीं. वर्ष 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. इसके पश्चात वे दुबारा वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बनीं. वर्ष 2001 में कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसके बाद वर्ष 2002 में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ वह फिर मुख्यमंत्री बनीं. इस बार यह अवधि पहले की अपेक्षा थोड़ी बड़ी थी. वर्ष 2007 के चुनावों में बीएसपी के लिए केवल दलितों ने ही नहीं अपितु ब्राह्मण और ठाकुरों ने भी वोट किया. इस चुनाव में सभी वर्ग के लोगों को प्रतिनिधि बनाया गया था. इन चुनावों में विजयी होने के पश्चात मायावती चौथी बार मुख्यमंत्री बनाई गईं. कमजोर और दलित वर्गों का उत्थान और उन्हें रोजगार के अच्छे अवसर दिलवाना उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का केन्द्र है.


मायवती की उपलब्धियां

सत्ता में आते ही मायावती ने पूर्व मुख्यमंत्री के काल में हुई अनियमितताओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया. पुलिस भर्ती में हुई धांधली पर कड़ा रुख अपनाया जिसकी वजह से लगभग 17,868 पुलिसवालों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इसके अलावा मायावती के आदेशानुसार 25 आईपीएस अफसरों को सस्पेंड किया गया. मायावती ने संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए भी कड़े प्रयत्न किए हैं. मायावती द्वारा किए जा रहे सामाजिक सुधारों की सूची में गैर दलित वर्गों के लोगों के उत्थान के साथ निम्न और दलित वर्गों के लोगों को आरक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दलित वर्ग के लोगों के लिए सीट आरक्षित हैं.


मायावती से जुड़े विवाद

हालांकि मायावती ने उत्तर-प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का वायदा किया था. लेकिन उनका यह वायदा किसी काम नहीं आया. इसके विपरीत मायावती सरकार के अधीन उत्तर-प्रदेश कई समस्याओं से जूझ रहा है. अपने कार्यकाल में मायावती विभिन्न आरोपों का सामना कर रही हैं.

  • ताज-कोरिडोर केस- ताज कोरिडोर केस में हुए घोटालों को लेकर मायावती सीबीआई के घेरे में आ गई थीं. सन 2003 में सीबीआई ने मायावती के घर छापा मारा जिसकी वजह से उनके पास आय से अधिक धन संपत्ति होने का पता चला.
  • जन्मदिन पर खर्च- मायावती का जन्मदिवस हर बार ही बड़े आयोजन के रूप में मनाया जाता है. समर्थकों द्वारा नोटों का हार पहनाया जाना और गरीब लोगों की चिंता को एक तरफ कर धन का अपव्यय मायावती की छवि को धूमिल करने लगा है. इतना ही नहीं वर्ष 2009 में मायावती समर्थकों ने उनके जन्मदिवस को हर वर्ष जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी कर दी.
  • अनियमित संपत्ति- वर्ष 2007-2008 में मायावती द्वारा चुकाया गए 26 करोड़ के टैक्स ने उन्हें देश के शीर्ष बीस कर दाताओं की सूची में शामिल कर दिया. मुख्यमंत्री के पास इतना धन होना कोई आम बात नहीं है. इससे पहले सीबीआई ने मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी, जिसके अनुसार उन्हें अपने आय के स्त्रोतों का ब्यौरा देना था. मायावती के समर्थकों ने इस संपत्ति को समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा दी गई राशि और तोहफे बताया.
  • विभिन्न मूर्तियों और प्रतिमाओं का निर्माण करवाना- मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मायावती ने जगह-जगह बौद्ध धर्म और दलित समाज से संबंधित कई मूर्तियों का निर्माण करवाया है. अपने आदर्श कांशीराम की भी एक बड़ी प्रतिमा का लोकार्पण किया है. इन सब प्रतिमाओं पर अनुमानित खर्च लगभग 2000 करोड़ बताया जाता है. इतना ही नहीं विरोधियों के डर से मायावती ने इन प्रतिमाओं के संरक्षण और सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती से संबंधित योजना को भी मंजूरी दे दी थी.
  • उत्तर प्रदेश के सामाजिक हालात- उत्तर प्रदेश की जनता के हालात दिनोंदिन खराब होते जा रहे हैं. देश में महिलाओं की स्थिति त्रासद बनी हुई है. हत्या, बलात्कार और दलितों पर हो रहे अत्याचार उत्तर-प्रदेश की स्थिति को चिंताजनक बनाए हुए हैं. आय के साधनों का अभाव भी उत्तर-प्रदेश के लिए गंभीर परिणाम पैदा करने लगा है.

मायावती के ऊपर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं. इनमे पहला नाम आयरन लेडी कुमारी मायावती का है जो पत्रकार मोहमद जमील अख्तर ने लिखा. मायावती ने स्वयं हिंदी में मेरे संघर्षमयी जीवन और बहुजन मूवमेंट का सफरनामा तीन भागों में और A Travelogue of My struggle-ridden life and of Bahujan Samaj अंग्रेजी में दो भागों में लिखा है. दोनों ही पुस्तकें काफी चर्चित रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार अजय बोस द्वारा लिखी गयी बहनजी: अ पॉलिटिकल बायोग्राफी ऑफ मायावती, मायावती से संबंधित अब तक की सर्वाधिक प्रशंसनीय पुस्तक है.


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