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चीनी सैनिकों के पीछे हटने का सच क्या है?

oldi begपिछले माह 16 अप्रैल को लद्दाख क्षेत्र (Ladakh’s Daulat Beg Oldi) के निर्धारित सीमा रेखा से आगे बढ़कर भारतीय सीमा में 19 किलोमीटर आगे आकर 50 सैनिकों की चीनी सेना की टुकड़ी (chinese troops) द्वारा अपना तंबू गाड़कर रहने का मुद्दा भारतीय मीडिया में सरकार की किरकिरी करता रहा. सरकार शुरू से ही इसे तूल देने के हक में नजर नहीं आ रही थी. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद Salman Khurshid) इसे बार-बार केवल एक गलतफहमी की स्थिति से पैदा हुआ मतभेद बताकर घुसपैठ करार न दिए जाने की अपील करते रहे और बातचीत के द्वारा इसका हल निकाल लिए जाने का विश्वास दिलाते रहे. कमांडर स्तर पर दोनों देशों की चार फ्लैग मीटिंग के बाद आखिरकार 20 दिनों बाद चीन विवादित ओल्दी बेग क्षेत्र से अपनी सेना हटाने को तैयार हो गया. इस बीच 1963 के बाद पहली बार इस तरह भारतीय सीमा में हठधर्मी की तरह तंबू गाड़कर पीछे हटने से चीन के इनकार पर तमाम तरह के कयास लगाए जाते रहे.


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आम जनता में इसे लेकर उबाल की स्थिति यह थी कि कई लोगों ने तो यह तक कह दिया कि चीन को युद्ध द्वारा सबक सिखाया जाना चाहिए. पर सरकार और विदेश मंत्रालय संयम न खोते हुए अपने बयान पर कायम रहे कि यह एक गलतफहमी की स्थिति के अलावा और कुछ नहीं है और दोनों देशों में आपसी बातचीत के द्वारा इसका हल निकाल लिया जाएगा. मीडिया, विपक्ष और आम जनता इसे सरकार की कार्यशैली की खामियां और मुश्किल हालातों से बचने का रवैया मानती रहीं. इस तरह सरकार पर कटाक्ष का दौर जारी रहा. आखिरकार दोनों देशों की 4 फ्लैग मीटिंग और 20 दिनों के बाद खबर आई कि वार्ता सफल रही और चीन ओल्दी बेग के विवादित क्षेत्र से अपनी सेना की टुकड़ी हटाने को तैयार हो गया है. इस खबर ने सरकार पर शक की सारी सुई को निराधार साबित कर दिया और हर तरफ परेशानियों से घिरी यूपीए सरकार ने राहत की सांस ली.

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नया विवाद

चीन से वर्तमान मुद्दे पर समझौते के अनुसार दोनों देशों की सेना को अपनी स्थिति से पीछे हटते हुए विवादित क्षेत्र में 15 अप्रैल, 2013 की स्थिति फिर से बहाल करनी थी. विवाद तब खड़ा हुआ जब चीन के साथ ओल्दी बेग से सेना की टुकड़ी हटाए जाने के दो दिनों बाद ही यह खबर आने लगी कि चीन को मनाने के लिए भारत अपनी ही सीमा से पीछे हट गया है. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) का यह बयान भी आया कि सरकार की इस मुद्दे पर कार्यशैली समझ नहीं आ रही क्योंकि मीडिया में आई खबरों के अनुसार दोनों देशों की सेना अपनी-अपनी स्थिति से पीछे हटेगी जबकि भारतीय सैनिक (Indian Army) पहले ही अपनी सीमा में ही थे. उन्होंने सरकार (UPA Government) से स्थिति साफ करने को कहा कि आखिर समझौते के अनुसार स्थिति है क्या, हमारी सेना अपने ही क्षेत्र से वापस क्यों आ रही है?


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अभी मीडिया में खबर है कि पहले ही भ्रष्टाचार और घोटालों की मार झेलती हुई सरकार इस नए विवाद को आने वाले चुनावों में अपने विरोध में एक बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं बनने देना चाहती थी पर चीन की हठधर्मिता से मामला सुलझता नजर नहीं आ रहा था और सरकार हर तरफ से किरकिरी झेल रही थी. इसलिए मामले को जल्दी सुलझाने के लिए भारत सरकार चीन को विवादित सीमा क्षेत्र से चीनी तंबू हटाने से मनाने के लिए चुमार क्षेत्र में भारतीय सुरक्षा चौकी को हटाने के लिए तैयार हो गई. यह भारतीय विदेश मंत्रालय की एक कमजोर कूटनीति मानी जा रही है. खबरों में यह भी आ रहा है कि समझौते को तोड़ते हुए चीन ने अपनी सेना को पूरी तरह से ओल्दी बेग से हटाया भी नही है. चीनी सेना केवल 2 किलोमीटर पीछे हटी है और अभी भी भारतीय सीमा के 17 किलोमीटर अंदर है.

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Omar Abdullah, Indian Army, UPA Government, उमर अब्दुल्ला, भारतीय सैनिक, Salman Khurshid, Foreign Affair Minister of India.


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