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Chowdhary Ajit Singh – राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह

chaudhray ajeet singhचौधरी अजीत सिंह का जीवन परिचय

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र और राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह का जन्म 12 फरवरी, 1939 को मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ था. लोकप्रिय जाट नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके अजीत सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय और आईआईटी खड़गपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं. सत्रह वर्ष अमरीका में काम करने के बाद चौधरी अजीत सिंह वर्ष 1980 में अपने पिता द्वारा स्थापित लोक दल को एक बार फिर सक्रिय करने के उद्देश्य से भारत लौटे थे. इनके परिवार में पत्नी राधिका सिंह और दो बच्चे हैं. अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी मथुरा निर्वाचन क्षेत्र से पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य हैं.


चौधरी अजीत सिंह का राजनैतिक सफर

वर्ष 1986 में राज्य सभा सदस्य के तौर पर संसद में प्रवेश करने वाले चौधरी अजीत सिंह सात बार लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं. 1987 में अजीत सिंह ने लोक दल (अजीत) नाम से लोक दल के अलग गुट का निर्माण किया. एक वर्ष बाद ही लोक दल (अजीत) का जनता पार्टी के साथ विलय कर दिया गया. चौधरी अजीत सिंह इस नव निर्मित दल के अध्यक्ष बनाए गए. जब जनता पार्टी, लोक दल और जन मोर्चा के विलय के साथ जनता दल का निर्माण किया गया तब चौधरी अजीत सिंह ही इसके महासचिव चुने गए. विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में चौधरी अजीत सिंह 1989-90 तक केन्द्रीय उद्योग मंत्री रहे. नब्बे के दशक में अजीत सिंह कांग्रेस के सदस्य बन गए. पी.वी. नरसिंह राव के काल में वर्ष 1995-1996 तक वह खाद्य मंत्री भी रहे. 1996 में कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद वह लोकसभा सदस्य बने. लेकिन एक वर्ष के भीतर ही उन्होंने लोकसभा और कांग्रेस से इस्तीफा देकर भारतीय किसान कामगार पार्टी का निर्माण किया. अगले उपचुनावों में वह इसी दल के प्रत्याशी के तौर पर बागपत निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीते. 1998 में हुई हार उनके राजनैतिक जीवन की एक मात्र असफलता है. 1999 में अजीत सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल का निर्माण किया. जुलाई 2001 के आम-चुनावों में इस दल का भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार का निर्माण किया गया. अजीत सिंह को कैबिनेट मंत्री के तौर पर कृषि मंत्रालय का पदभार सौंपा गया. इसके बाद अजीत सिंह ने अपनी पार्टी को बीजेपी और बीएसपी के गठबंधन में शामिल कर लिया. लेकिन बीजेपी और बीएसपी के अलग होने से कुछ समय पहले ही अजीत सिंह ने अपनी पार्टी को बीएसपी से अलग कर लिया, जिसके कारण बीएसपी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई. मुलायम सिंह यादव के सत्ता में आने के साथ अजीत सिंह ने 2007 तक उन्हें अपना समर्थन दिया. लेकिन किसान नीतियों में मदभेद के चलते उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया. 2009 के चुनावों में उन्होंने एनडीए के घटक के तौर पर चुनाव लड़ा और वह पंद्रहवीं लोकसभा में चुने गए.


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