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रेलगेट और कोलगेट से संकट में सरकार

sonia&sushamaदो बड़े भ्रष्टाचार के मुद्दों में फंसी यूपीए सरकार विपक्ष, सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई तीनों तरफ से घिरी नजर आ रही है. दो बड़े केंद्रीय मंत्रियों के रेलगेट और कोलगेट मामले में संलिप्तता को लेकर उनके इस्तीफे की मांग कर भाजपा ने मंगलवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा कर दिया. स्थिति बिगड़ते देख दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के कार्यकर्ता कानून मंत्री अश्विनी कुमार द्वारा कोल आवंटन रिपोर्ट में बदलाव करने की सीबीआई के हलफनामे के आधार पर कुमार के इस्तीफे की मांग के साथ ही रेलवे बोर्ड में कर्मचारी चयन के लिए रिश्वत के मामले को लेकर रेलवे मंत्री पवन बंसल के इस्तीफे की मांग भी करने लगे. इस बीच खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण विधेयक भी पारित नहीं हो सका. भाजपा नेता सुषमा स्वराज के अनुसार सरकार दोनों मंत्रियों को बचाने की कोशिश कर रही है जो किसी भी लिहाज से मान्य नहीं है. अगर सरकार को विधेयक पारित करवाना है तो दोनों का इस्तीफा लेना होगा वरना वे इसी तरह हंगामा करते रहेंगे और विधेयक पारित होने नहीं देंगे.


गौरतलब है कि सीबीआई द्वारा कोलगेट रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय, अटार्नी जनरल और कानून मंत्री से साझा किए जाने की बात सामने आने पर कानून मंत्री और अटार्नी जनरल दोनों ने ही सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने रिपोर्ट नहीं देखी थी जबकि सोमवार को दाखिल सीबीआई के हलफनामे में सीबीआई ने स्वीकार किया है कि कोलगेट रिपोर्ट को लेकर तीन बैठकें हुई थीं और इनमें कानून मंत्री और एजी दोनों ने ही रिपोर्ट देखी भी थी और कुछ बदलाव भी करवाए थे. इससे पहले केंद्र सरकार ने कानून मंत्री पर आरोप साबित न होने की बात कह विपक्ष द्वारा उनके इस्तीफे की मांग को ठुकरा दिया था. इसी प्रकार रेलवे बोर्ड में महेश कुमार को रेलवे बोर्ड में इलेक्ट्रिकल सदस्य का पद देने के लिए 12 करोड़ के प्रस्तातिव रिश्वत में रेलवे मंत्री पवन बंसल की लिप्तता से भी यूपीए सरकार और कांग्रेस कोर समिति इनकार करते हुए भाजपा की रेलवे मंत्री के इस्तीफे की मांग को भी ठुकरा चुकी है. सीबीआई की जांच में फोन रिकॉर्ड के आधार पर (जिसमें बंसल के भांजे और रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए विजय सिंगला ने साफ कहा है कि बंसल से बात कर इलेक्ट्रिकल का पद महेश को दिया जाएगा) यह साफ हो चुका है कि इस रिश्वत मामले में बंसल भी शामिल थे. सूत्रों के अनुसार 90 लाख की यह रकम बंसल को ही दी जानी थी. एक और बात जो बंसल की तरफ शक की सुई मोड़ती है वह यह कि मामले के सामने आने पर पवन बंसल ने अपने भांजे से किसी भी प्रकार का कारोबारी रिश्ता नहीं होने की बात कही थी जबकि जांच में यह बात सामने आई है कि बंसल के दोनों बेटे  थिऑन फार्मास्युटिकल कंपनी चलाते हैं जिसमें उनका भांजा विजय सिंगला भी पार्टनर है. इसके अलावे सिंगला की कंपनी का पता भी बंसल के घर का है. गौरतलब है कथित रेलगेट के इस रिश्वत मामले में महेश कुमार को रेलवे बोर्ड में इलेक्ट्रिकल सदस्य का पदभार देने के लिए पहले 10 करोड़ की डील सामने आई थी लेकिन बाद में पता चला कि इलेक्ट्रिकल की सदस्यता मिलने तक वेस्टर्न रेलवे के जीएम का अतिरिक्त प्रभार दिलाने के लिए दो करोड़ रुपये तत्‍काल देने की डील भी हुई थी. बाकी की रकम पांच-पांच करोड़ की दो किश्तों में बाद में दी जानी थी. इस तरह यह पूरा रिश्वत कांड 12 करोड़ पर तय हुआ था जिस पर केंद्र सरकार और विपक्ष में तानातानी का दौर चल रहा है. कोलगेट पर 8 मई को सुप्रीम की सुनवाई होनी है और रेलगेट में भी सीबीआई की जांच चल रही है.


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