यूं तो यूपीए सरकार पर आए दिन कोई न कोई आरोप लगते रहते हैं, कुछ हद तक इन आरोपों की उसे आदत भी हो गई होगी लेकिन राजनैतिक विशेषज्ञों की मानें तो जितने आरोपों का सामना संप्रग 2 को करना पड़ा है उतना भारतीय राजनैतिक इतिहास में किसी अन्य सत्ताधारी पार्टी को नहीं करना पड़ा है. ताजा मामला संप्रग द्वारा कोल आवंटन के समय हुए घोटाले का है. हालांकि यह बहुत पुराना मसला है लेकिन इस मामले की आंच ने फिर एक बार सत्ताधारी संप्रग को अपने दायरे में घसीट लिया है और इस बार फंदा कसा है देश की सर्वोच्च अदालत ने और इस फंदे की जकड़न में संप्रग अकेला नहीं है क्योंकि आरोपों के घेरे में स्वयं वह संस्था फंस गई है जिसका जिम्मा आरोपों की जांच करना है.
Coal Scam Summary
उल्लेखनीय है कि कोयला ब्लॉक आवंटन में हुए घोटाले को लेकर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जो रिपोर्ट दायर की थी अब वही जांच के दायरे में आ गई है और सुप्रीम कोर्ट ने उस रिपोर्ट के साथ हुई छेड़छाड़ की वजह से केन्द्रीय जांच एजेंसी को दोबारा हलफनामा दायर करने के लिए कहते हुए कुछ सवालों का जवाब भी मांगा है, जैसे सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को यह क्यों नहीं बताया कि 8 मार्च को यह रिपोर्ट सरकार को दिखाई गई थी और 12 मार्च को सीबीआई ने यह क्यों कहा कि इस रिपोर्ट के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया गया? इतना ही नहीं केन्द्रीय कानून मंत्री और उनके संयुक्त सचिवों के अलावा किस-किस को यह रिपोर्ट दिखाई गई और स्टेटस रिपोर्ट में अगर कुछ बदलाव किए गए तो उन्हें किसके कहने पर किया गया जैसे सवालों का जवाब सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय जांच एजेंसी से मांगा है.
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सुप्रीम कोर्ट के इन सवालों ने सत्ता पक्ष के हाथ-पांव फुलाकर रख दिए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को विश्वासघाती तक कह दिया है और साथ ही यह भी कहा है कि हलफनामे में कई ऐसे तथ्य लिखे गए हैं जो बेहद परेशान करने वाले हैं. कोर्ट इस बात से भी नाराज है कि इस पूरे प्रकरण से जुड़ी बातें उससे भी छुपाई गईं. सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भी पूछा है कि क्या केन्द्रीय मंत्री को यह अधिकार है कि वह सीबीआई से जांच रिपोर्ट मांगे?
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सीबीआई द्वारा दायर हलफनामे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी को जाहिर करते हुए यह कहा कि केन्द्रीय जांच एजेंसी ने यह रिपोर्ट सरकार को दिखाकर भरोसे की नींव ही हिलाकर रख दी है. सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार यह साफ कर चुका है कि सीबीआई को किसी भी राजनैतिक आका की गुलामी करने की जरूरत नहीं है इसीलिए सीबीआई में बढ़ रहे राजनैतिक हस्तक्षेपों से भी सुप्रीम कोर्ट को गहरा धक्का लगा है.
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सरकार पर कसा गया आरोपों का यह फंदा अभी और कसने वाला है क्योंकि केन्द्रीय कानून मंत्री के अलावा सीबीआई ने यह रिपोर्ट अन्य जिस भी व्यक्ति से साझा की है उन सभी के नामों के अलावा बदलाव करने से पहले की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. इससे सुप्रीम कोर्ट को यह स्पष्ट हो जाएगा कि स्टेटस रिपोर्ट में किसके कहने पर क्या-क्या बदलाव किए गए और साथ ही यह भी कि इन बदलावों से किसे और कितना फायदा पहुंचा.
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सुप्रीम कोर्ट के अलावा विपक्षी दल ने भी लोकसभा में हंगामा करते हुए सत्ता पक्ष पर हमला बोला और कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग की है. विपक्षी दल का कहना है कि हर बार जब संसद के सत्र की शुरुआत होती है तो इससे पहले ही सरकार पर गंभीर आरोपों का सिलसिला शुरू हो जाता है. यूपीए2 को अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार बताते हुए बीजेपी नेता सुषमा स्वराज का कहना है कि सरकार ने कोयला, जो कि राष्ट्रीय संपत्ति है, को जी भर कर लूटा है. पहले बीजेपी ने यह कहते हुए सदन से वॉकआउट किया कि वे देश हित के लिए ऐसा कर रही है और इसके बाद जेडीयू ने भी इस घोटाले की वजह से सदन छोड़ दिया.
तो क्या अब मुलायम बनेंगे प्रधानमंत्री !!
संप्रग सरकार के राजनैतिक सितारे आजकल गर्दिश में दिखाई दे रहे हैं. यूं तो समय-समय पर उन पर आरोप लगते ही रहे हैं लेकिन चुनावी समय नजदीक आते ही पहले वर्षों पुराने साथियों ने उनसे पल्ला झाड़ लिया और अब पुराने आरोप फिर से नई शक्लो सूरत के साथ सिर उठाने लगे हैं. कोलगेट मामले ने सरकार की विश्वसनीयता को ना सिर्फ जनता की नजर में बाधित किया है बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत का भी उस पर से विश्वास उठ गया है जो कि निश्चित रूप से संप्रग के लिए बेहद घातक है. जाहिर सी बात है उसकी साख पर एक बहुत बड़ा बट्टा लगा है लेकिन अब देखना यह है कि इन आरोपों का सामना सरकार कैसे करती है.
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