क्यों नहीं मिली। वहीं, पार्टी के दिग्गजों की प्रतिक्रिया देखें, तो ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं जेडीयू को भी इसकी आस थी कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी पार्टी का नाम लिये जाने को बेवजह तो करार दे रहे हैं, लेकिन पार्टी महासचिव के बयान से कुछ और ही समझ आता है।
बयान बता रहे जेडीयू की निराशा!
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने इस बारे में कहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी पार्टी का तो नाम ही बेवजह लिया गया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी के लोगों को शामिल किए जाने को लेकर कोई बात ही नहीं हुई थी। पार्टी के बारे में जो भी बात होगी, मैं खुद सबको बता दूंगा। अपने आप ही मीडिया सब चला रहा है। वहीं, नीतीश के इस बयान को पार्टी महासचिव का बयान काटता हुआ नजर आ रहा है। पार्टी महासचिव केसी त्यागी के बयान में निराशा साफ देखी जा सकती है। त्यागी ने कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से हम निराश नहीं हैं। मगर हमें उम्मीद थी कि जिस तरह बिहार में बीजेपी-जेडीयू मिलकर सरकार चला रहे हैं, वैसे ही केंद्र में भी जेडीयू को मौका मिलेगा। अफसोस है कि इस वजह से विरोधियों को तंज करने का मौका मिल गया है।
‘वाजपेयी कार्यकाल से बहुत अलग है आज का एनडीए’
जेडीयू के बागी नेता शरद यादव का बयान इन दोनों से जुदा है। मंत्रिमंडल विस्तार में जेडीयू को शामिल नहीं करने के बारे में शरद कहते हैं कि ये तो उनसे (JDU) पूछें। मैं इस विस्तार का स्वागत करता हूं। शरद यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने कालेधन, दो करोड़ रोजगार देने समेत जो तमाम वादे किए थे, उस दिशा में कोई काम पिछले तीन साल में नहीं हुआ। हो सकता है कि ये नए चेहरे इन वादों को पूरा करने के लिए कुछ काम करें। शरद ने इसी बहाने एनडीए पर तंज किया। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल की तुलना में आज का एनडीए बहुत अलग है। इसमें अगर शिवसेना को निकाल दिया जाए, तो बाकी सहयोगी दुअन्नी-चवन्नी पार्टियां ही हैं।
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