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गोरखपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने बनाया अनचाहा रिकॉर्ड, दांव पर सियासी साख!

उत्‍तर प्रदेश में फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की हार इन दिनों सुर्खियों में है। सियासी पंडित इस चुनाव परिणाम का अपने-अपने तरीके से विश्‍लेषण कर रहे हैं। सियासी गलियारों में भी भाजपा की इस हार की जबरदस्‍त चर्चा है। वजह यह है कि ये दोनों ही सीटें 2014 के आमचुनाव में भाजपा के खाते में आई थीं। इसमें भी गोरखपुर सीट के चुनाव परिणाम ने सभी को चौंकाया। इसे भाजपा का मजबूत दुर्ग माना जाता था। बावजूद इसके चुनाव परिणाम ने सारे सियासी समीकरण बदल दिए। इस चुनाव परिणाम से बसपा-सपा जहां जश्‍न मना रही हैं, वहीं भाजपा अपनी हार के विश्‍लेषण में जुटी है। वहीं, पिछले कई चुनावों की तरह कांग्रेस को फिर निराशा हाथ लगी। इतना ही नहीं, चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने एक ऐसा अनचाहा रिकॉर्ड भी बनाया, जो कोई भी राजनीति पार्टी कभी नहीं बनाना चाहेगी। आइये आपको बताते हैं कांग्रेस के इस अनचाहे रिकॉर्ड के बारे में।

 

 

कांग्रेस प्रत्‍याशी की नहीं बची जमानत

गोरखनाथ मंदिर के प्रभाव वाली इस लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी प्रवीन निषाद ने जीत का रिकॉर्ड बनाया। प्रवीन निषाद ने भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र शुक्‍ला को 21881 मतों से हराया। प्रवीन को 456513 और उपेंद्र शुक्ला को 434632 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस ने ऐसा अनचाहा रिकॉर्ड बना डाला, जिससे यहां उसकी सियासी साख दांव पर लग गई है। इस बार भी कांग्रेस न सिर्फ गोरखपुर में बुरी तरह हारी, बल्कि ये लगातार सातवीं हार है, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। कांग्रेस प्रत्याशी को मिले मतों के बाद सर्वाधिक संख्या नोटा की रही। इस बार गोरखपुर की जनता ने 8326 मत नोटा को दिए।

 

 

1996 से 2018 तक ऐसा रहा कांग्रेस का प्रदर्शन

 

1996 के चुनाव में हरिकेश बहादुर 14549 वोट ही पा सके, जो जमानत बचाने में भी सफल नहीं हो सके।

 

1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस की ओर से लगातार दूसरी बार हरिकेश बहादुर उतरे, लेकिन उन्हें भी सिर्फ 22621 वोट ही मिले।

 

1999 में कांग्रेस ने यहां से मुस्लिम प्रत्‍याशी डॉ. सैयद जमाल को उतारा, लेकिन वे भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए। उन्‍हें सिर्फ 20026 वोट मिले।

 

2004 के आम चुनाव में कांग्रेस ने शरदेंदु पांडेय का उतारा। वे भी सिर्फ 33477 वोट हासिल कर सके और उनकी भी जमानत जब्‍त हो गई।

 

2009 में कांग्रेस के टिकट पर लाल चंद निषाद चुनावी रण में उतरे। मगर केंद्र की सत्ता में कांग्रेस के होने का उन्हें कोई फायदा नहीं मिला। योगी के प्रभाव के चलते उन्हें सिर्फ 30262 मत ही मिले।

 

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अष्टभुजा प्रसाद त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन योगी लहर में वे ऐसे ‘बहे’ कि उनकी भी जमानत जब्त हो गई। उन्हें 45693 वोट मिले।

 

2018 के उपचुनाव में कांग्रेस ने इस बार डॉ. सुरहिता करीम को मैदान में उतारा था। मगर वे अपनी जमानत तक नहीं बचा सकीं। उन्हें महज 18858 वोट मिले…Next

 

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