भारतीय राजनीति का इतिहास जितना दिलचस्प है, यहां के राजनीतिज्ञों का जीवन भी उतना ही दिलचस्प रहा है. समानताएं हर जगह होती हैं. कई राजनीतिज्ञों का जीवन भी बहुत हद तक समान रहा है पर इनकी असाधारण कुशलता की ही तरह इनमें ये समानताएं भी बहुत अलग थीं.
भारत के तीन लोकप्रिय प्रधानमंत्री हुए जो राजनीति में असाधारण रूप से कुशल थे, जिनका योगदान भारतीय राजनीति में बहुमूल्य है. इनकी मौत में समानता हैरान करती है. भारतीय जनता के दिलों में खास जगह रखने वाले और अंतरराष्ट्रीय नेता के रूप में ख्याति अर्जित इन नेताओं की इतनी प्रसिद्धि के बावजूद इनकी मौत प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि हत्या या साजिश के तहत हुई. संयोग की बात यह है कि तीनों राष्ट्रीय दल कांग्रेस से ही प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए थे और एक-दूसरे से कहीं न कहीं संबंधित थे. इन तीनों की मौत इनके कार्यकाल के दौरान ही हुई, वह भी उसी समय जब ये कोई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विवाद सुलझा रहे थे. सबसे बड़ी समानता यह है कि यह विवाद ही इनकी मौत की वजह भी बनी. ये नेता थे लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी. इनकी मौत में ये समानताएं कुछ इस प्रकार हैं.
लाल बहादुर शास्त्री: लाल बहादुर शास्त्री भारतीय इतिहास में सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं. जवाहर लाल नेहरू के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत अचानक हुई. ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ही दिल का दौरा पड़ने से इनकी मौत हो गई. यह समझौता भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ था. ताशकंद संधि पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद लाल बहादुर शास्त्री की इस अचानक मौत ने भारतीयों के मन में कई सवाल खड़े किए. उनके निजी चिकित्सक डा. आर.एन. चुग के अनुसार उनका स्वास्थ्य बिल्कुल सही था और इससे पहले उन्हें दिल की कोई परेशानी नहीं थी. ऐसा माना जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री की मौत जहर देकर षडयंत्र के तहत हुई. मरने के बाद उनका शारीर नीला पाया गया था. उनकी पत्नी और बेटे की मांग के बावजूद उनकी लाश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया. उनकी मौत के कारण आज भी सवालिया है.
इंदिरा गांधी: लौह महिला के रूप में जानी जाने वाली इंदिरा गांधी का राजनीतिक जीवन काफी उथल-पुथल भरा रहा. उनके कार्यकाल में दूसरी इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी पंजाब राज्य की राजनीतिक समस्याओं को हल करने के प्रयासों में व्यस्त थीं. जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में सिख आतंकवादियों के अलगाववादी आंदोलन को कुचलने के अपने प्रयास में उन्होंने अमृतसर के पवित्रतम सिख मंदिर ‘स्वर्ण मंदिर’ पर हमले का आदेश दे दिया जो उस वक्त ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ के नाम से जाना गया. ऑपरेशन ब्लूस्टार में भिंडरावाले की मौत के साथ ही यह अभियान भी खत्म हो गया. स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से आजाद करा लिया गया. लेकिन इस ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया जिससे समूचा सिख समुदाय आहत हुआ. उन्होंने ऐलान किया कि वे श्रीमती गांधी से इसका बदला लेंगे. 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी के अंगरक्षक ने ही सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में अपनी सेवा हथियारों से ही उन्हें गोली मार दी. डॉक्टरों के अनुसार हमलावरों ने 30 राउंड फायर की थी जिनमें 31 गोलियां निकाल दी गईं. 7 उनके शरीर के अंदर फंस गए थे, जबकि 23 उनके शरीर को छेदकर बाहर निकल गए थे.
राजीव गांधी: अपने जीवनकाल में राजीव गांधी युवाओं की पहली पसंद रहे. राजीव गांधी की हत्या भी एक जनसभा के दौरान ही हुई थी जो वस्तुत: उनकी अंतिम जनसभा साबित हुई. चेन्नई से 30 किलोमीटर दूर तमिलनाडु के एक गांव श्रीपेराम्बुदूर में वे चुनाव प्रचार कर रहे थे. एक महिला सामान्य रूप से राजीव गांधी के पास पहुंची और उनके पैरों को छूने के लिए नीचे झुकी. उसकी कमर में एक कपड़े में 700 ग्राम का आरडीएक्स विस्फोटक बंधा था जो फट गया और इस विस्फोट में राजीव गांधी की मौत हो गई. बाद में उस महिला की पहचान राजरत्नम के रूप में की गई. उसकी कमर में बंधा आरडीएक्स भी आत्मघाती हमले के साथ राजीव गांधी की हत्या के मकसद से ही लाया गया था. हत्यारे के अलावा 14 और लोगों की मौत घटनास्थल पर ही गई. इस विस्फोट और राजीव गांधी की मौत का कारण भी एक सवाल बनकर रह जाता क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से किसी ने भी हमालावर या हमले का कोई सामान देखा नहीं था. पर वहां मौजूद, हमले में मारे गए एक पत्रकार फोटोग्राफर के कैमरे में कैद तस्वीरों के माध्यम से सबने हमलावर और हमले की तस्वीर देखी और विस्फोट का कारण समझ आया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह साफ हो गया कि यह हत्या लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण की व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण की गई थी.
Controversial Deaths of Prime Ministers India
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