काफी समय से विभिन्न विवादों का हिस्सा रहा गुजरात लोकायुक्त विधेयक गुजरात विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस के भारी हंगामे के बीच पारित कर दिया गया. पारित हुए इस विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विवाद तेज हो गया है जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
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1. लोकायुक्त की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति करेगी. इसका मतलब यह हुआ कि राज्य का लोकायुक्त राज्यपाल और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की नहीं बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री की मर्जी से चुना जाएगा.
2. इस बिल के मुताबिक किसी को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखने का अधिकार भी राज्य सरकार को होगा. इसमें राज्यपाल को समिति की सिफारिशों को मानना पड़ेगा.
3. इसमें लोकायुक्त को किसी भी शिकायत पर सुनवाई से पहले राज्य सरकार की इजाजत लेनी होगी. इसके अलावा लोकायुक्त की रिपोर्ट पर अमल के लिए राज्य सरकार बाध्य नहीं होगी.
गुजरात के नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई इस बिल की आलोचना हर तरफ की जा रही है. कांग्रेस ने गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक 2013 को नरेंद्र मोदी सरकार का भ्रष्टाचार छिपाने का प्रयास करार दिया. गौरतलब है कि कांग्रेस के वॉकआउट के बीच मंगलवार को गुजरात विधानसभा में यह लोकायुक्त बिल पास किया गया.
आपको बता दें इसी लोकायुक्त बिल की वजह से मोदी सरकार की काफी फजीहत हुई थी. राज्यपाल के जरिये लोकायुक्त जस्टिस आरए मेहता की नियुक्ति को गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन बार चुनौती दी थी लेकिन कोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ फैसला दिया था जिसके बाद प्रदेश की सरकार ने क्यूरेटिव बेंच में अपील की.
जानकारों की मानें तो मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह बिल नख-दंत विहीन लोकायुक्त बिल है जो स्वयं मोदी और उनकी टीम द्वारा नियंत्रित की जाएगी. ऐसे में मुख्यमंत्री मोदी की नीयत पर सवाल उठना लाजमी है.
मोदी की सरकार ने इस बिल के जरिए साफ कर दिया है कि वह ऐसे किसी भी संस्था के नियंत्रण में काम नहीं करना चाहती जो उसे आदेश दे या फिर उनके काले कारनामों का पर्दाफाश करे. होना यह चाहिए था नरेंद्र मोदी, जिसे आज लोग भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं, उन्हे स्वयं आगे आकर भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून की एक ऐसे नींव रखनी चाहिए जो केंद्र से लेकर अन्य राज्यों के लिए बड़ी मिशाल पेश करे. सुप्रीम कोर्ट जाने की बजाय वह खुद कोर्ट से अनुरोध करते कि मजबूत लोकायुक्त बिल पास करने के लिए आदेश दे.
मोदी आजकल जिस तरह से गुजरात के साथ-साथ पूरे देश को सपने दिखाने का काम कर रहे हैं इस बिल के जरिए वह सारे सपने चकनाचूर हो गए हैं. यह बिल भविष्य को लेकर उनकी सोच को दर्शाता है, एक ऐसा भविष्य जिसमें कहीं न कहीं तानाशाही की स्पष्ट झलक दिखती है.
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