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Brinda Karat – कम्यूनिस्ट पार्टी की नेता ब्रिंदा करात

brinda karatब्रिंदा करात का जीवन परिचय

राज्यसभा सदस्य और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो की पहली महिला सदस्या ब्रिंदा करात का जन्म 17 अक्टूबर, 1947 को कलकत्ता में हुआ था. विभाजन के बाद इनके पिता सूरज लाल दास लाहौर से भारत लौटे थे. ब्रिंदा करात की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के एक संभ्रांत विद्यालय वेल्हम गर्ल्स स्कूल में संपन्न हुई. 16 वर्ष की आयु में ब्रिंदा करात ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से डिप्लोमा लेने के बाद देहरादून विश्वविद्यालय से इतिहास विषय के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने 7 नवंबर, 1975 को कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के वर्तमान महासचिव प्रकाश करात के साथ विवाह कर लिया.


ब्रिंदा करात का व्यक्तित्व

ब्रिंदा करात, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी की पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं. साथ ही वह सन 1980 से ही महिलाओं से संबंधित विभिन्न आंदोलनों में भाग लेती आई हैं. ब्रिंदा करात की विशेष रुचि महिलाओं से संबंधित कार्यक्रमों और योजनाओं में है. विद्यार्थी जीवन में उनका कला और अभिनय के प्रति भी रुझान था. वह विभिन्न थियेटर नाटकों में अभिनय कर चुकी हैं.


ब्रिंदा करात का राजनैतिक सफर

वर्ष 1967 में लंदन में एयर इंडिया के साथ काम करने के दौरान उन्होंने महिला कर्मचारियों को स्कर्ट पहनना जरूरी होने के विरोध में अभियान चलाया. इस अभियान के बाद वह सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाने में सफल हुईं. वर्ष 1971 में कलकत्ता वापस आने के बाद उन्होंने कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की सदस्यता ग्रहण कर ली. व्यवहारिक राजनीति का ज्ञान लेने के उद्देश्य से ब्रिंदा करात कलकत्ता यूनिवर्सिटी का हिस्सा बन गईं. शुरुआत में उन्होंने विश्वविद्यालय के छत्रों की परेशानियों और उनके हितों के लिए काम करना शुरू किया. बाद में वह बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के लिए काम करने लगीं. वर्ष 1975 में दिल्ली पलायन करने के बाद वह उत्तरी दिल्ली के कपड़ा मिल श्रमिकों के साथ जुड़ व्यापार संघ आयोजक के रूप में काम करने लगीं. इसी दौरान वह भारत में एक सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाने लगीं. वर्ष 1980 में बलात्कार से संबंधित लचीले भारतीय कानूनों का विरोध और उनमें सुधार की मांग करने पर उन्हें और अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई. ब्रिंदा करात ने कम्यूनिस्ट पार्टी में महिलाओं की भागीदारी को अहमियत ना मिलने के कारण इसकी केन्द्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया. वर्ष 2005 में वे राज्यसभा सदस्य बनने के साथ CPI(M) की पहली महिला सदस्य भी बनीं. वर्तमान में भी वह महिलाओं और पुरुषों को लेकर असमान मानसिकता के विरोध में कार्य कर रही हैं.


ब्रिंदा करात से जुड़े विवाद

ब्रिंदा करात ने प्रसिद्ध योगगुरु बाबा रामदेव पर यह आरोप लगाया था कि उनके संस्थान द्वारा बनाई जा रही दवाइयों में मानव-अस्थियों का मिश्रण किया जाता है. उनके इस बयान ने पूरे उत्तर भारत की जनता में रोष उत्पन्न कर दिया. साथ ही इस बयान के बाद लालू यादव और शरद पवार जैसे कई बड़े नेताओं के साथ भी ब्रिंदा करात का मनमुटाव हो गया. इसके बाद बीजेपी की तरफ से उन्हें कानूनी कार्यवाही का भी सामना करना पड़ा.


एक सक्रिय समाजसेवी होने के अलावा ब्रिंदा करात में अभिनय क्षमता भी गजब की है. सिख दंगों पर बनी अपनी भतीजी की एक फिल्म अमु जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था, उसमें ब्रिंदा करात ने ही अभिनय किया था. इसके अलावा ब्रिंदा करात ने अंग्रेजी भाषा में Survival and Emancipation: Notes from Indian Women’s Strugglesके नाम से एक किताब भी लिखी है.


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