दुनियाभर में अपनी काबिलियत को लोहा मनवाने वाले दादा भाई नैरोजी को यूं ही भारतीय राजनीति का पितामह नहीं कहा जाता है। महात्मा गांधी और गोपाल कष्ण गोखले कुछ भी करने से पहले दादा भाई से परामर्श जरूत करते थे। दादा भाई नैरोजी को दुनिया द ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी पुकारती है। यूं तो उनके कई विचार और डायलॉग हैं लेकिन उनके तीन ऐसे डायलॉग हैं जो उन्हें अमर कर गए। आज ही के दिन 30 जून 1917 को उन्होंने यह दुनिया छोड़ दी थी।
जहां पढ़े वहीं शिक्षक बन गए
गुजरात के नवसारी में पारसी परिवार में 4 सितंबर 1825 को एक बेटे का जन्म हुआ जिसे दादा भाई नैरोजी के नाम से पहचाना गया। मात्र 11 की उम्र में ही उनका विवाह कर दिया गया। लेकिन, दादा भाई नैरोजी ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और स्कॉटलैंड यूनिवर्सिटी से संबद्ध एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला ले लिया। बाद में मात्र 25 साल की उम्र में वह इसी कॉलेज में अध्यापक भी हो गए।
विदेश में कंपनी स्थापित करने वाले पहले भारतीय
अध्यापक बनने से पहले तक नैरोजी कपास के जाने माने व्यवसायी थे। 1850 में ब्रिटेन ने उन्हें प्रतिष्ठित अकादमिक पद प्रदान किया। यह पद हासिल करने वाले वह इकलौते भारतीय थे। कामा एंड कंपनी के हिस्सेदार के तौर पर 1855 में दादाभाई नैरोजी इंग्लैंड चले गए। बाद में उन्होंने यहां कपास निर्यात करने वाली नैरोजी एंड कंपनी की स्थापना की और इंग्लैंड कंपनी खोलने वाले पहले भारतीय बने।
ब्रिटेन के सांसद बनने वाले पहले एशियाई
दादा भाई नैरोजी 1874 में बड़ौदा के राजा के प्रधानमंत्री बने। इसके अलावा वह 1885 में बंबई विधानसभा के सदस्य भी बने। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इंडियन नेशनल एसोसिएशन के विलय में दादा भाई नैरोजी का बड़ा योगदान रहा। बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1892 में दादा भाई नैरोजी ब्रिटेन की लिबरल पार्टी की ओर से चुनाव लड़े और जीतकर ब्रिटेन संसद पहुंचे। ब्रिटेन हाउस आफ कॉमंस का सांसद बनने वाले वह पहले एशियाई थे।
महात्मा गांधी समेत कई दिग्गज मुरीद हुए
दादा भाई नैरोजी अपनी राजनीतिक समझ और समाज को एकसूत्र में रखने की काबिलियत के चलते दुनियाभर में मशहूर हो गए। महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना दादा भाई नैरोजी से प्रभावित होकर उनसे अपने कार्यों के लिए परामर्श लेने लगे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरम दल और गरम दल के रूप में गुटबाजी शुरू हुई तो दादा भाई नैरोजी ने नरमदल का समर्थन किया। देश की राजनीति को एक सूत्र में रखने वाले दादा भाई को भारतीय राजीनिक का पितामह कहा गया।
वो 3 डायलॉग जो दुनिया में अमर हो गए
दादाभाई नैरोजी के असीमित योगदान और काबिलियत के चलते उन्हें द ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं। दादा भाई नैरोजी ने 91 वर्ष की उम्र में 30 जून 1917 को यह दुनिया छोड़ दी। इससे पहले वह अपने विचारों के जरिए लोगों के दिलों में जिंदा हो गए। वह कहा करते थे कि मैं जाति और धर्म से परे एक भारतीय हूं। वह कहते थे कि जब बात एक शब्द से पूरी हो जाए तो दूसरा कहने की क्या जरूरत है। उनके तीसरे डयलॉग ने पूरी दुनिया के शोषितों के बीच पहचान बनाई यह था— हम दया की भीख नहीं मांगते, हमें केवल न्याय चाहिए। दादा भाई नैरोजी अपने इन्हीं विचारों के कारण आज भी लोगों के दिलों में अमर हैं।…NEXT
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