दोस्ती का आधार विश्वास है. यह दोस्ती का विश्वास ही है जिसके कारण कोई दोस्त अपने साथी को वह सब कुछ सहजता से बता देता है जिसे भेद खुल जाने के भय से वह दूसरों से छुपा कर रखता है. लेकिन, इस सच का दूसरा पहलू यह भी है कि विश्वासी दोस्तों ने ही कई बार अपने दोस्त की खटिया खड़ी की है. इतिहास ऐसे कई उदाहरणों से पटा पड़ा है. विश्वास की कीमत बहुतेरों ने चुकायी है फिर वो तात्या टोपे हों या नवाब सिराजुद्दौला. वर्तमान राजनीति ऐसे उदाहरणों का आईना बनता दिख रही है. दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र तोमर पर यह आरोप लगा कि कानून की उनकी डिग्री फ़र्जी है. केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखायी. जितेंद्र तोमर को बिहार के मुंगेर अवस्थित कॉलेज ले जाया गया. वहाँ इस मामले की जाँच चली. सूत्रों के अनुसार जितेंद्र तोमर ने विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान से कानून की डिग्री ली. डिग्री की जाँच के इस क्रम में उन्हें दिल्ली के कानून मंत्री का पद गँवाना पड़ा.
दरअसल यह सब हुआ महज दोस्ती के कारण. क्षुद्र स्वार्थों की चाशनी में लिपटी इस दोस्ती ने तोमर से न सिर्फ उनकी कुर्सी लूटी बल्कि उनकी सामाजिक हैसियत को भी नीचे गिरा दिया. तोमर और उनके दोस्त ने अपने राजनीतिक जीवन की शरूआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में की थी. पार्टी में तोमर और उसकी दोस्ती के चर्चे थे. इसके बावजूद तोमर के दोस्त का कद पार्टी में थोड़ा ऊँचा था. उस पद तक पहुँचने के लिये तोमर ने कानून की डिग्री की अहमियत महसूस की. तोमर अपनी हर बात उस दोस्त से साझा करते थे. कानून की डिग्री वाली बात भी उन्होंने अपने उस दोस्त से साझा की.
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लोकसभा चुनावों की बयार बह रही थी. इस बयार में कोई इस पाले में तो कोई उस पाले में गिर रहा था. तोमर के उस दोस्त और दिल्ली के पूर्व विधायक ने भी हाथ झटक कमल थामने में भलाई समझी. तोमर को अपना भविष्य झाड़ू में दिख रहा था. जब लोकसभा चुनाव की बयारें बंद हुई तो दिल्ली विधान सभा चुनाव की आँधी आई. इस आँधी ने दिल्ली में कमल को मुरझाने को विवश कर दिया जबकि झाड़ू ने दिल्ली सचिवालय में आम आदमी पार्टी के नेताओं के पुन: प्रवेश का रास्ता साफ कर दिया.
झाड़ू की सफाई में जितेंद्र तोमर निखरे और उन्हें दिल्ली के कानून मंत्री का पद दे दिया गया. इससे उनके उस पुराने दोस्त का हाजमा खराब गया और उन्होंने तोमर की सच्चाई उगल दी. तोमर की इस सच्चाई ने फ़र्जी डिग्री विवाद का रूप ले लिया जिसके कारण तोमर को मंत्री पद गँवानी पड़ी. एक वेबसाइट की मानें तो तोमर के उस दोस्त का नाम डॉक्टर एस सी वत्स है जो दो बार दिल्ली के विधायक रह चुके हैं. वो वत्स ही हैं जिन्होंने तोमर की डिग्री पर फ़र्जी रंग चढ़ा उनकी फ़जीहत करायी.Next….
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