आपने लोकसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण टीवी पर देखा होगा, उसमें आपने गौर किया होगा कि कौन-से सांसद किस जगह पर बैठे हैं या उनके आसपास कौन से जाने-पहचाने नेता बैठे हैं। ऐसे में ज्यादातर लोग सोचते होंगे कि शायद जल्दी आने के आधार पर या आपस में दोस्ती के आधार पर सांसद सदन में बैठते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कौन-सा सांसद कहां बैठेगा, इसका फैसला कैसे होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके बाद 5 या 6 जून से 17वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो सकता है।
कैसा होता है सदन
लोकसभा को 6 ब्लॉक में बांटा गया है जो स्पीकर के आसन के दाएं, बाएं और सामने होते हैं। इन्हीं ब्लॉक में सांसदों की सीट होती है और बीच में गैलरी होती है। हर ब्लॉक में 11 लाइन होती हैं जिनकी हरे रंग से कवर सीटों पर सांसद बैठते हैं। स्पीकर के ठीक नीचे वाली बेंच पर लोकसभा महासचिव समेत सचिवालय के अधिकारी बैठते हैं जो सदन को सुचारू ढंग से चलाने में स्पीकर की मदद करते हैं। इसके साथ ही वह दिन भर की कार्यवाही का रिकॉर्ड भी रखते हैं। स्पीकर की दाईं और बाईं ओर जो 2 ब्लॉक हैं उनमें 97-97 सीटें होती हैं, बाकी बचे सामने के 4 ब्लॉक में 89-89 सीटें होती हैं। प्रत्येक सांसद के लिए एक सीट निर्धारित होती है, लेकिन कोई मंत्री अगर लोकसभा का सदस्य नहीं भी है, फिर भी वह चर्चा के दौरान सदन में बैठ सकता है।
यह है सीट का फॉर्मूला
स्पीकर किसी भी पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर उनके बैठने की जगह तय करते हैं। इसके लिए एक फॉर्मूला लगाया जाता है, जिसमें किसी पार्टी या गठबंधन के पास कुल सीटों को उस लाइन की कुल सीटें की संख्या से गुणा किया जाता है। इसके बाद जो संख्या आती है, उसे लोकसभा की कुल संख्या से विभाजित कर दिया जाता है। इस फॉर्मूले को समझने के लिए हम एनडीए को इस बार मिली 353 सीटें से समझते हैं। इस बार एनडीए को मिली कुल सीटों को अगर पहली लाइन की कुल सीटें से गुणा किया जाए और फिर कुल संख्या से उसे विभाजित किया जाए तो नतीजा 12।83 आता है। पूर्णांक के लिहाज से इस बार एनडीए के 13 सांसदों को फ्रंट रो यानी आगे की लाइन में जगह मिलेगी।
वरिष्ठता को महत्व
यह फॉर्मूला 5 या उससे ज्यादा सीटों वाली पार्टी पर ही लागू होता है। अगर किसी दल के सदस्यों की संख्या 5 से कम है तो स्पीकर और दल के नेता आपसी सहमति से उनके बैठने की सीट तय करते हैं। स्पीकर किसी पार्टी के सदस्य की वरिष्ठता को देखते हुए उसे पहली लाइन में जगह दे सकता है। पिछली बार सपा के मुलायम सिंह यादव और जेडीएस के एचडी देवगौड़ा को आगे की लाइन में जगह दी गई थी, जबकि उनकी पार्टी के पास आगे की लाइन में बैठने लायक संख्याबल नहीं था।…Next
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