मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 15 दिनों के लिए आपातकाल का एलान कर दिया है। इसी के साथ राजनेताओं की धरपकड़ तेज हो गई है। आपातकाल की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही देश की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद, जज अली हमीद और पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति गयूम और उनके दामाद को घर का दरवाजा तोड़कर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पूर्व विदेश मंत्री और संसद के पूर्व स्पीकर ने ट्विटर पर गिरफ्तारी की जानकारी दी। साथ ही मालदीव के राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी इसकी जानकारी दी गई है। इन गिरफ्तारियों के साथ ही मालदीव में सियासी संकट और गहरा गया है। आइये आपको बताते हैं क्या है मालदीव में आए सियासी संकट की वजह और क्यों लगा आपातकाल।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश भी दिया। मगर राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद 5 फरवरी को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव में आपातकाल घोषित कर दिया।
2008 में बहाल हुआ था लोकतंत्र
मालदीव में 2008 में लोकतंत्र बहाल हुआ था। इससे पहले अब्दुल गयूम 30 साल तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे। 2008 में देश में लोकतंत्र की स्थापना होने के बाद चुनाव हुआ। लोकतांत्रिक रूप से चुनाव होने के बाद मोहम्मद नशीद मालदीव के पहले चुने हुए राष्ट्रपति बने। साल 2012 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफा देने के बाद नशीद ने आरोप लगाया कि उन्हें बंदूक के दम पर इस्तीफा देने को कहा गया था।
नाशीद को 13 साल जेल की सजा
साल 2013 में फिर चुनाव हुए। इस बार अब्दुल्ला यामीन ने चुनाव में मोहम्मद नशीद को हरा दिया और मालदीव की सत्ता पर काबिज हो गए। यामीन के राष्ट्रपति बनने के बाद नशीद पर आतंकवाद फैलाने के आरोप लगाए गए। 2015 में मोहम्मद नशीद को आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया। नाशीद को 13 साल जेल की सजा हुई थी। मगर साल 2016 में नाशीद को इलाज के लिए इंग्लैंड जाने की इजाजत मिल गई और उसके बाद से निर्वासन में ही रहे। फिलहाल नशीद श्रीलंका में रह रहे हैं। भारत समेत कई देशों ने नशीद के खिलाफ हुई कार्रवाई पर आपत्ति जताई थी। अब राष्ट्रपति यामीन पर पूर्व राष्ट्रपति नशीद समेत 9 राजनीतिक विरोधियों को जेल से रिहा करने का दबाव है, जिसके बाद आपतकाल की घोषणा हुई।
भारत सरकार की अपने नागरिकों को सलाह
उधर, मालदीव के आपातकाल को देखते हुए भारत सरकार ने अपने नागरिकों से अगली सूचना तक मालदीव की सभी गैर जरूरी यात्रा टालने को कहा है। साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने मालदीव में रह रहे भारतीयों को भी सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहने और सार्वजनिक स्थानों पर जाने व जमा होने से बचने को कहा है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मालदीव की राजनीति में उथल-पुथल भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है। इसलिए अगले आदेश तक भारतीय नागरिकों से मालदीव की यात्रा को टालने की अपील की गई है। इसके अलावा मालदीव में भारतीय प्रवासियों को भी सतर्क किया गया है।
पर्यटकों का स्वर्ग है मालदीव!
बता दें कि 4 लाख की आबादी वाले मालदीव को पर्यटकों के स्वर्ग के तौर पर जाना जाता है। 2012 में नाशीद के पद छोड़ने के बाद से ही वहां राजनीतिक अस्थिरता है। सरकार पहले ही संसद बर्खास्त कर चुकी है। इसके अलावा सेना को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश को रोकने के निर्देश दिए गए हैं…Next
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