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सुषमा स्वराज का वो दमदार भाषण जिसे सुनकर संसद अध्यक्ष को तालियां रोकने के लिए कहना पड़ा था ‘अपने भाषण को दिलचस्प मत बनाइए’

कई प्रभावशाली नेता ऐसे होते हैं जिनसे हजार असहमतियां होने के बाद भी उनके प्रति आदर का भाव रहता है। सुषमा स्वराज उन्हीं नेताओं में से एक थीं, जिनके दुनिया से विदा होने के साथ ही लोगों का प्यार उमड़ पड़ा। सुषमा स्वराज के व्यक्तित्व की बात करें, तो अपने तर्कपूर्ण भाषणों से विरोधियों का भी दिल जीतने वाली सुषमा ने कई बार ऐसे भाषण दिए थे, जो राजनीति के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गए। भारतीय राजनीति में उनके भाषण से जुड़ा ऐसा ही किस्सा है। जब 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरी और उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया। 11/06/1996 का आम-सा दिन संसद में सुषमा स्वराज के भाषण से यादगार बन गया था।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal8 Aug, 2019

 

 

 

महाभारत-रामायण से जोड़ते हुए कही थीं ये बातें
‘मैं यहां विश्वासमत का विरोध करने के लिए खड़ी हुई हूं। अध्यक्ष जी, ये इतिहास में पहली बार नहीं हुआ है, जब राज्य का सही अधिकारी राज्याधिकार से वंचित कर दिया गया हो। त्रेता में यही घटना राम के साथ घटी थी। राजतिलक करते-करते वनवास दे दिया गया था। द्वापर में यही घटना धर्मराज युद्धिष्ठिर के साथ घटी थी, जब शकुनी की दुष्ट चालों ने राज्य के अधिकारी को राज्य से बाहर कर दिया था। अध्यक्ष जी, जब एक मंथरा और एक शकुनी, राम और युद्धिष्ठिर जैसे महापुरुषों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं तो हमारे खिलाफ तो कितनी मंथराएं और कितने शकुनी सक्रिय हैं। हम राज्य में बने कैसे रह सकते थे? अध्यक्ष जी, शायद रामराज और स्वराज की नियति यही है’

 

 

उनके इस भाषण को सुनकर जहां विरोधी मौन थे वहीं कुछ नेता ऐसे भी थे, जो उनसे हमेशा असहमतियां रखते हुए भी उनकी बात पर तालियां बजा रहे थे। लोग तालियां लगातार तालियां बजाते जा रहे थे। तालियों का शोर रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था। लोकसभा अध्यक्ष बार-बार लोगों से चुप रहने को कह रहे थे। सांसद लोग शांत हो नहीं रहे थे। वाह-वाह की गूंज चारों तरफ से सुनाई दे रही थी।  तालियों को शांत करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने टोकते हुए कहा था ’कृपया अपने भाषण को इतना भी दिलचस्प मत बनाइए’  अध्यक्ष की बात सुनते ही पक्ष-विपक्ष सभी एक साथ हंस दिए। ऐसा पहली बार हुआ था, जब संसद में अध्यक्ष ने किसी भाषण की तारीफ की थी।

 

 

इसी भाषण में सुषमा ने अनुच्छेद 370 पर भी कही थी ये बात
‘अध्यक्ष जी, हम सांप्रदायिक हैं। हां, हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम वंदे मातरम् गाने की वकालत करते हैं। हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं। हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम धारा 370 को खत्म करने की मांग करते हैं। हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम हिंदुस्तान में गो रक्षा की वकालत करते हैं। हां, अध्यक्ष जी हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम हिंदुस्तान में समान नागरिक संहिता बनाने की बात करते हैं। अध्यक्ष जी ये सब लोग हैं, ये धर्म निरपेक्ष हैं, दिल्ली की सड़कों पर 3000 सिखों का कत्ल-ए-आम करने वाले’

सुषमा स्वराज अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से जुड़े ऐसे कई दिलचस्प किस्से छोड़ गई हैं, जिन्हें हमेशा सुना और पढ़ा जाएगा।…Next

 

 

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