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Gurdial Singh Dhillon – लोकसभा के पूर्व स्पीकर गुरदयाल सिंह ढिल्लन

gurdial singh dhillonगुरदयाल सिंह ढिल्लन का जीवन-परिचय

भारतीय संसद को लोकतंत्र का धार्मिक स्थल मानने वाले लोकसभा के पूर्व स्पीकर गुरदयाल सिंह ढिल्लन का जन्म 6 अगस्त, 1915 को अमृतसर, पंजाब के गांव पंजवार में हुआ था. वह एक बेहद प्रतिभावान विद्यार्थी थे. लाहौर के पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई करने से पहले गुरदयाल सिंह ने अमृतसर के खालसा कॉलेज और लाहौर के गवर्मेंट कॉलेज में भी दाखिला लिया था. वर्ष 1937 से 1945 के बीच ढिल्लन के स्वयं को एक प्रख्यात वकील के रूप में स्थापित कर लिया था. किसान आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के कारण वह अंग्रेजी सरकार की नजरों में आ गए थे. स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के कारण गुरदयाल सिंह ढिल्लन को दो बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी थी. लंबे समय तक कारावास में रहने के कारण गुरदयाल सिंह के वकालत करने पर रोक लगा दी गई थी.


गुरदयाल सिंह ढिल्लन का राजनैतिक जीवन

वर्ष 1952 से 1967 तक गुरदयाल सिंह ढिल्लन पंजाब विधानसभा के सदस्य रहे. 1954 तक वह विधानसभा में उपाध्यक्ष और 1954 से 1962 तक सदन के स्पीकर रहे. वर्ष 1967 में फिरोजपुर के तरन-तारन निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद गुरदयाल सिंह ढिल्लन संसद पहुंचे. लोकसभा स्पीकर के पद पर ढिल्लन ने दो कार्यकाल (1969–71) और (1971–75) पूरे किए. वर्ष 1975 में अपने पद से त्यागपत्र देने के पश्चात गुरदयाल सिंह ढिल्लन को केन्द्रीय कैबिनेट में परिवहन मंत्री का पद प्रदान किया गया. वर्ष 1980 में वह योजना आयोग के सदस्य भी रहे. वर्ष 1980-1982 तक वह कनाडा में भारतीय राजदूत भी रहे. वर्ष 1986-1989 तक वह केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत कृषि मंत्री भी रहे.


गुरदयाल सिंह ढिल्लन का निधन

गुरदयाल सिंह हृदय संबंधी रोगों से ग्रस्त थे. उनकी बाइपास सर्जरी भी की जा चुकी थी. दिल का दौरा पड़ने के कारण गुरदयाल सिंह ढिल्ल्न को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS) में दाखिल किया गया जहां 23 मार्च, 1992 को उनका देहांत हो गया.


गुरदयाल सिंह को दिए गए सम्मान

  • गुरदयाल सिंह ढिल्लन को पंजाब यूनिवर्सिटी (1971) और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (1973) द्वारा एल.एल.डी. की उपाधि प्रदान की गई.

  • 1971 में पंजाब की गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी ने ढिल्लन को डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया.

  • जर्मनी की हंबोल्ट यूनिवर्सिटी ने गुरदयाल सिंह को डॉक्टर ऑफ पॉलिटिकल साइंस का सम्मान प्रदान किया.

भारतीय संस्कृति को प्रचारित करने में गुरदयाल सिंह विशेष रुचि रखते थे. कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वह एक अच्छे लेखक और प्रशासनिक अधिकारी भी थे. बच्चों को सिख धर्म के इतिहास से अवगत कराने के उद्देश्य से करतार सिंह के साथ मिलकर गुरदयाल सिंह ढिल्लन ने स्टोरीज ऑफ सिख हिस्ट्री के नाम से पुस्तक श्रृंखला भी लिखी है.


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