मदाभूषी अनंथसयनम आयंगर का जीवन परिचय
भारतीय लोकसभा के दूसरे स्पीकर मदाभूषी अनंथसयनम आयंगर का जन्म 4 फरवरी, 1891 को तिरुपति, आन्ध्र प्रदेश के छोटे से गांव तिरुचनूर में हुआ था. तिरुपति के देवस्थानम हाई स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद आयंगर आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास चले गए. मद्रास के पचईअप्पा कॉलेज से स्नातक की उपाधि ग्रहण करने के बाद एम.ए. आयंगर ने वर्ष 1913 में मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई संपन्न की. 1912 में गणित के अध्यापक के तौर पर आयंगर ने अपने कॅरियर की शुरूआत की. वर्ष 1915 में कानून की परीक्षा पास करने के बाद आयंगर ने वकील के रूप में अपने कॅरियर की शुरूआत की. कुछ ही समय में आयंगर ने खुद को एक प्रख्यात और लोकप्रिय वकील के रूप में स्थापित कर लिया था. महात्मा गांधी से प्रभावित होने के बाद छोटी आयु में ही आयंगर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के तौर पर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे. इसी दौरान उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा था.
मदाभूषी आयंगर का राजनैतिक सफर
वर्ष 1934 में केन्द्रीय विधानसभा के सदस्य बनने के साथ ही मदाभूषी आयंगर के राजनैतिक जीवन की शुरूआत हुई. लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद आयंगर वर्ष 1952 (तिरुपति) और 1956 (चित्तूर) निर्वाचन क्षेत्र से चयनित होने के बाद लोकसभा पहुंचे. वर्ष 1948 में जब गणेश वासुदेव मावलंकर पहले लोकसभा अध्यक्ष बनाए गए थे, तब मदाभूषी आयंगर लोकसभा के उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे. वर्ष 1956 में वह लोकसभा के स्पीकर नियुक्त हुए. वर्ष 1962 और 1967 में वह बिहार के राज्यपाल भी बनाए गए थे.
बिहार के राज्यपाल के पद से सेनानिवृत्त होने के बाद आयंगर अपना जीवन गृहनगर तिरुपति में ही व्यतीत करने लगे थे. उम्र के इस पड़ाव पर भी आयंगर सामाजिक रूप से सक्रिय रहते थे और जनता की सेवा करना करना पहला कर्तव्य समझते थे. जीवन के अंतिम दिनों में वह संस्कृत विद्यापीठ और अन्य कई जनहितार्थ कार्यों में लिप्त रहे. उन्होंने 19 मार्च, 1978 को अंतिम सांस ली.
वर्ष 2007 में मदाभूषी अनंथसयनम आयंगर को सम्मान देने के उद्देश्य से उनकी कांस्य मूर्ति को उनके गृहनगर तिरुपति में लोकार्पित किया गया.
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