सरदार हुकम सिंह का जीवन-परिचय
भारतीय लोकसभा के अध्यक्ष रह चुके सरदार हुकम सिंह का जन्म 30 अगस्त, 1895 को पाकिस्तान के सिहाल जिले में हुआ था. इनके पिता शाम सिंह एक व्यवसायी थे. सरदार हुकम सिंह ने वर्ष 1913 में गवर्नमेंट हाई स्कूल, मांटगोमरी से स्कूली शिक्षा और अमृतसर(पंजाब) के खालसा कॉलेज से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की. 1921 में लाहौर से एल.एल.बी. की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने गृहनगर मांटगोमरी से अपनी वकालत की शुरूआत की. एक समर्पित सिख होने के कारण हुकम सिंह ने गुरुद्वारों को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे आंदोलनों में भी बढ-चढ़कर हिस्सा लिया. 1923 में जब अंग्रेजी सरकार द्वारा शिरोमणि अकाली दल को गैरकानूनी घोषित कर इससे संबंधित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया तब सिखों ने मिलकर इसी नाम से एक अन्य सिख दल की स्थापना की. सरदार हुकम सिंह भी इस दल के सदस्य बने. जब इस दल के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया, तब सरदार हुकम सिंह को भी दो वर्ष की सजा सुनाई गई. हुकम सिंह अपने परिवार के साथ जिस स्थान पर रहते थे वह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र था. जिसके कारण वहां रह रहे हिंदू और सिखों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. भारत-पाक विभाजन के समय हालात अत्याधिक गंभीर बन गए थे. वह और उनका परिवार मुसलमान दंगाइयों के निशाने पर थे. तब उन्हें कई दिनों तक गुरुद्वारा श्री गुरू सिंह सभा की शरण में ही समय व्यतीत करना पड़ा था. विभाजन के बाद वह कपूरथला उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए.
सरदार हुकम सिंह का राजनैतिक सफर
शिरोमणि दल के सदस्य के तौर पर सरदार हुकम सिंह ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत की. वह तीन वर्ष तक इसके अध्यक्ष भी रहे. वह तीन वर्ष तक मांटगोमरी सिंह सभा के भी अध्य्क्ष रहे. विभाजन के बाद भारत की संविधान सभा में कुछ सीटें खाली हो गई थीं. शिरोमणि अकाली दल के सदस्य के तौर पर सरदार हुकम सिंह संविधान सभा में चयनित हुए. इस सभा में होने वाले सभी कार्यक्रमों और वाद-विवाद में सरदार हुकम सिंह सक्रिय रहते थे. इसी कारण वह संविधान सभा अध्यक्ष के पैनल में भी नामित हुए. 20 मार्च, 1956 को डिप्टी स्पीकर बनने तक वह इस पैनल में रहे. पहली लोकसभा के लिए वह अकाली दल के प्रत्याशी के तौर पर कपूरथला, भटिंडा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीते. हुकम सिंह, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट के सचिव भी रहे. दूसरी लोकसभा में वह कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में चयनित हुए. वर्ष 1962 के तीसरे लोकसभा चुनावों में हुकम सिंह पटियाला निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज करने के बाद लोकसभा पहुंचे. इसी वर्ष अप्रैल में वह लोकसभा के स्पीकर भी बनाए गए. इस पद से सेनानिवृत्त होने के बाद सरदार हुकम सिंह राजस्थान के राज्यपाल भी बनाए गए.
सरदार हुकम सिंह की उपलब्धियां
अच्छे राजनीतिज्ञ होने के अलावा सरदार हुकम सिंह समर्पित सिख भी थे. उन्होंने सिख धर्म के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली में स्पोक्समैन नामक अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका की शुरूआत की. इतना ही नहीं उनकी लेखन क्षमता भी प्रखर थी. उन्होंने अंग्रेजी भाषा में द प्रॉब्लम्स ऑफ द सिख और द सिख कौज नामक दो पुस्तकें भी लिखीं.
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