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अपने खास और महंगे शौक के लिए मशहूर थे पूर्व पीएम, प्लेन से मंगवाई थी अपनी ब्रांडेड सिगरेट

राजनीति की गलियारों में नेताओं के हार-जीत के चुनावी फैसलों के अलावा उनसे जुड़े कई किस्से भी चर्चा का विषय बने रहते हैं। ऐसे में उन किस्सों को किसी नेता के जाने के बाद भी याद किया जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के साथ भी ऐसे कई किस्से जुड़े हुए हैं, जिनके बारे में अक्सर ही चर्चा रहती है। राजनीतिक के गलियारों में इन किस्सों पर सभी की अलग-अलग राय हो सकती है लेकिन आम लोगों के लिए यह किस्से हमेशा से दिलचस्प होते हैं। ऐसा ही एक किस्सा है जवाहरलाल नेहरु से जुड़ा हुआ। आइए, जानते हैं पूरा किस्सा।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal27 May, 2019

 

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15 साल की उम्र में पढ़ने के लिए गए थे इंग्लैंड
नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक रुतबेदार वकील थे। वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के लीडर भी रहे। पंडित जवाहरलाल नेहरू की माता का नाम स्वरूप रानी था। वे एक कश्मीर ब्राह्मण थीं और मो‍तीलाल नेहरू से उनका विवाह 1886 में हुआ। जवाहरलाल नेहरू बचपन से ही पढ़ने-लिखने में होशियार थे। जवाहरलाल नेहरू का शुरुआती जीवन इलाहाबाद में ही गुजरा। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। 15 वर्ष की उम्र में नेहरू पढ़ने के लिए इंग्लैंड के हैरो स्कूल भेजे गए। हैरो से वह केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए, जहां उन्होंने तीन वर्ष तक अध्ययन करके प्रकृति विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। लंदन के इनर टेंपल में दो वर्ष बिताकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की।

 

 

भारत लौटने के चार दिन बाद ही हो गई थी शादी
भारत लौटने के चार वर्ष बाद 1916 में नेहरू का विवाह कमला कौल के साथ हुआ। कमला दिल्ली में बसे कश्मीरी परिवार से थीं। 1919 और 1920 में मोतीलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1919 में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी के साथ आ गए। वे गांधी जी साथ कई जगहों पर गए। पंडित जवाहरलाल नेहरू 9 बार जेल में गए थे। नेहरू को 11 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया गया।

 

अपने स्टाइलिश कपड़ों के लिए भी पॉपुलर थे नेहरू
उनके पहनावे का हर कोई दीवाना था। ऊंची कॉलर वाली जैकेट की उनकी पसंद ने नेहरू जैकेट को फैशन आइकन बना दिया। साल 1947 में भारत को आजादी मिलने पर वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों गुटनिरपेक्ष नीतियों की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू की ओर से हुई थी।

 

 

 

प्लेन से मंगवानी पड़ी थी 555 ब्रांड की सिगरेट 

मध्यप्रदेश का नामकरण पंडित नेहरू ने ही किया था। उस दौर के नेता शंकरदयाल शर्मा से उनकी खासी नजदीकियां थीं। इस वजह से नेहरू अक्सर भोपाल आना-जाना करते थे। वो प्रधानमंत्री के तौर पर करीब डेढ़ दर्जन बार भोपाल आ चुके हैं। उन्हें भोपाल काफी पसंद था। उन्हें भोपाल के प्राकृतिक रंग और आबोहवा काफी पसंद थी। उनके नाम पर भोपाल में कई संस्थाएं, अस्पताल, स्कूल हैं। मध्यप्रदेश से नेहरू की जिंदगी से एक खास किस्सा भी जुड़ा है।  एक बार नेहरू भोपाल दौरे पर थे, तब वे राजभवन आए हुए थे। उनकी सिगरेट खत्म हो गई थी। इसी दौरान नेहरू का 555 ब्रांड सिगरेट का पैकेट भोपाल में नहीं मिला। नेहरू को खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की आदत थी। जब यहां स्टाफ को पता चला तो उन्होंने भोपाल से इंदौर के लिए एक विशेष विमान पहुंचाया। वहां एक व्यक्ति इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट लेकर पहुंचा और वह पैकेट लेकर विमान भोपाल आया। राजभवन की ऑफिशियल वेबसाइट में इस रोचक प्रसंग का उल्लेख है…Next

 

 

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