जीवन परिचय
20 अगस्त, 1944 को जन्में राजीव गांधी इंदिरा गांधी के पुत्र और पं. जवाहर लाल नेहरू के पोते होने के साथ-साथ स्वतंत्र भारत के नौवें प्रधानमंत्री भी थे. इनका पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था. सन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात उनके पुत्र राजीव गांधी भारी बहुमत से प्रधानमंत्री बने. राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय गांधी की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के एक प्रतिष्ठित स्कूल में हुई थी. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में दाखिला लिया साथ ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनीयरिंग का पाठ्यक्रम भी पूरा किया. भारत लौटने के बाद राजीव गांधी ने लाइसेंसी पायलट के तौर पर इण्डियन एयरलाइंस में काम करना शुरू किया. कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान राजीव गांधी की मुलाकात एंटोनिया मैनो से हुई, विवाहोपरांत जिनका नाम दलकर सोनिया गांधी रखा गया. 23 जून, 1980 को उनके छोटे भाई संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु हुई तब उन्होंने अपनी मां को सहयोग देने के लिए राजनीति में प्रवेश किया. वहीं 1984 में मां की हत्या ने उन्हें पूर्ण रूप से कॉग्रेस के प्रति समर्पित नेता बना दिया.
राजीव गांधी का व्यक्तित्व
राजीव गांधी को एक सरल स्वभाव का व्यक्ति माना जाता है. पार्टी में उनकी छवि एक उदार नेता की थी. प्रधानमंत्री बनने के बाद वह कोई भी निर्णय जल्दबाजी में ना लेकर अपने कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करने के बाद ही लेते थे. वह सहनशील और निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे.
राजीव गांधी का राजनैतिक योगदान
राजनैतिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद राजीव गांधी ने कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली. भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में राजीव गांधी का प्रवेश केवल हालातों की ही देन था. दिसंबर 1984 के चुनावों में कॉग्रेस को जबरदस्त बहुमत हासिल हुआ. इस जीत का नेतृत्व भी राजीव गांधी ने ही किया था. अपने शासनकाल में उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं और नौकरशाही में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए. कश्मीर और पंजाब में चल रहे अलगावावादी आंदोलनकारियों को हतोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी ने कड़े प्रयत्न किए. भारत में गरीबी के स्तर में कमी लाने और गरीबों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए 1 अप्रैल सन 1989 को राजीव गांधी ने जवाहर रोजगार गारंटी योजना को लागू किया जिसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना और दस लाख कुआं योजना जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की.
राजीव गांधी को दिए गए पुरस्कार
राजीव गांधी को समाज और राजनीति में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया.
राजीव गांधी का निधन
श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शांत करने के लिए राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया. जिसका प्रतिकार लिट्टे ने तमिलनाडु में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया. इस हमले में राजीव गांधी की मृत्यु हो गई.
राजीव गांधी का राजनीति में आगमन पूर्व-निर्धारित ना होकर तत्कालिक परिस्थितियों के कारण हुआ था. भले ही उनका संपूर्ण परिवार राजनीति में सक्रिय रहा लेकिन उन्होंने हमेशा खुद को राजनीति से दूर रखा. अपने कॅरियर की शुरुआत उन्होंने पायलट के तौर पर की लेकिन उनकी नियति ने उन्हें भारत का प्रधानमंत्री बना दिया. उनका राजनैतिक जीवन कई घटनाओं से घिरा रहा. बोफोर्स तोप की विवादित खरीदारी और राजीव गांधी की इस मसले में संलग्नता ने कॉग्रेस पार्टी को काफी हद तक कमजोर बना दिया था जिसके चलते राजीव गांधी को अपना पद त्यागना पड़ा. अलगाववादियों के विरोध और भारत को एकीकृत रखने के उनके निश्चय ने भी कई देश-विरोधी ताकतों को राजीव गांधी का दुश्मन बना दिया था. इन्हीं में से एक लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या को अंजाम दिया.
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