Menu
blogid : 321 postid : 151

Vishwanath Pratap Singh – विश्वनाथ प्रताप सिंह

v.p singhजीवन परिचय

स्वतंत्र भारत के आठवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून, 1931 को इलाहाबाद के एक समृद्ध परिवार में हुआ था. वी.पी. सिंह के नाम से विख्यात विश्वनाथ प्रताप एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते थे. राजीव गांधी सरकार के पतन के बाद जब जनता दल ने वर्ष 1989 के आम चुनावों में विजय प्राप्त की तो प्रधानमंत्री के पद के लिए विश्वनाथ प्रताप सिंह को निर्वाचित किया गया. विश्वनाथ प्रताप सिंह के पिता का नाम राजा बहादुर राय गोपाल सिंह था. वी.पी सिंह ने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा ग्रहण की थी.


विश्वनाथ प्रताप सिंह को विद्यार्थी जीवन में ही राजनीति में रूचि हो गई थी. वह वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज के स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष और इलाहाबाद स्टूडेंट यूनियन के उपाध्यक्ष भी रहे. भूदान आंदोलन के अंतर्गत उन्होंने अपनी सारी जमीनें दान कर दीं जिसके परिणामस्वरूप परिवार वालों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. यह मामला इतना बिगड़ा की अदालत तक जा पहुंचा.


विश्वनाथ प्रताप सिंह का व्यक्तित्व

विश्वनाथ प्रताप सिंह एक कुशल और बेहद महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ थे. वे अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति की ओर आकृष्ट हो गए थे. युवा राजनीति का हिस्सा रहते हुए उन्होंने राजनीति की हर प्रक्रिया को अच्छी तरह समझ कर अपने व्यक्तित्व में ढाल लिया था.


विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर

विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर युवाकाल से ही प्रारंभ हो गया था. समृद्ध परिवार से संबंधित होने के कारण उन्हें जल्दी ही सफलता मिल गई. जल्द ही विश्वनाथ प्रताप भारतीय कॉग्रेस पार्टी से संबंधित हो गए थे. सन 1961 में वह उत्तर प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे. कुछ समय के लिए उन्होंने उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार भी संभाला लेकिन जल्दी ही वह केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बन गए. इसके अलावा वह राज्यसभा के सदस्य और देश के वित्तमंत्री भी रहे. इसी बीच उनका टकराव राजीव गांधी से हो गया. बोफोर्स तोप घोटाले की वजह से भारतीय समाज में कॉग्रेस की छवि बेहद खराब हो गई जिसका वी.पी. सिंह ने पूरा फायदा उठाया. उन्होंने कॉग्रेस खासतौर पर राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने नौकरशाही और कॉग्रेस की सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार की बातें जनता में फैला दीं. कुछ वर्ष बाद वी.पी. सिंह उर्फ विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कॉग्रेस विरोधी नेताओं को जोड़कर राष्ट्रीय मोर्चें का गठन किया. 1989 के चुनाव में कॉग्रेस को भारी क्षति का सामना करना पड़ा लेकिन वी.पी सिंह के राष्ट्रीय मोर्चें को बहुमत मिला और जनता पार्टी और वामदलों की सहायता से उन्होंने प्रधानमंत्री का पद हासिल किया. प्रधानमंत्री की ताजपोशी होने के बाद भी वह कॉग्रेस के विरुद्ध प्रचार करते रहे.


विश्वनाथ प्रताप सिंह के विवादास्पद निर्णय

व्यक्तिगत तौर पर विश्वनाथ प्रताप सिंह बेहद कुटिल स्वभाव के थे लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में उनकी छवि एक कमजोर और राजनैतिक दूरदर्शिता के अभाव से ग्रस्त व्यक्ति की थी. उनकी इन्हीं खामियों ने कश्मीर में आतंकवादियों के हौसले बुलंद कर रखे थे. इसके अलावा उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को मान देश में सवर्ण और अन्य पिछड़े वर्ग जैसी दो नई समस्याएं पैदा कर दी. सरकारी नौकरियों और संस्थानों में आरक्षण के प्रावधान ने कई युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया. कितने ही युवा आत्मदाह के लिए मजबूर हो गए. वी.पी सिंह की इस भयंकर भूल ने समाज को कई भागों में विभाजित कर दिया. उनके द्वारा लिए गए गलत निर्णयों ने राष्ट्रीय मोर्चा सरकार को हर कदम पर असफल साबित कर दिया. भारत की राजनीति में उन्हें एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखा जा सकता.


विश्वनाथ प्रताप सिंह का निधन

27 नवंबर, 2008 को 77 वर्ष की आयु में विश्वनाथ प्रताप सिंह का निधन दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुआ. वह काफी समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे.


विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने जीवन में कई गलत निर्णय लिए. कॉग्रेस से उनके कड़वे रिश्तों के कारण उनका अपना राजनैतिक आधार बना. मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करना उनके पतन का सबसे बड़ा कारण था. उन्हें हमेशा स्वार्थी और स्वयं को आगे रखकर चलने वाला व्यक्ति माना गया. उनके आलोचकों का मानना है कि वह कभी भी प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य व्यक्ति नहीं रहे लेकिन कुटिल रणनीति ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा दिया. उन्हें केवल राजनीति में ही दिलचस्पी नहीं थी. वह खाली समय में कविताएं भी लिखते थे, जो उनके द्वारा की गई गलतियों और उनके एकाकीपन को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं.


मुफ़लिस

मुफ़लिस से अब चोर बन रहा हूँ
पर इस भरे बाज़ार से चुराऊँ क्या,
यहाँ वही चीज़ें सजी हैं
जिन्हें लुटाकर मैं मुफ़लिस हो चुका हूँ.


आईना

मेरे एक तरफ़ चमकदार आईना है

उसमें चेहरों की चहल-पहल है,

उसे दुनिया देखती है

दूसरी ओर कोई नहीं

उसे मैं अकेले ही देखता हूँ.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh