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इन घटनाओं के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे वीपी सिंह, ऐसे गिरी थी इनकी सरकार

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के उन नेताओं में से एक हैं, जिनसे कई ऐसी घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जो आज भी याद की जाती हैं। वीपी सिंह ने राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी, रक्षा सौदों में घोटाले के खिलाफ सत्ता से विद्रोह किया, जाति व्यवस्था को सबसे बड़ी चुनौती दी और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ आमरण अनशन करके अपनी सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाया। कहते हैं कि आमरण अनशन का उनकी सेहत पर इतना असर पड़ा कि किडनी की परेशानी के चलते हालात इतने बिगड़ गए कि उनकी मौत हो गई।
कुछ घटनाएं हमेशा के लिए उनसे जुड़ गई।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal27 Nov, 2018

 

 

 

डाकुओं के खिलाफ चलाया अभियान
कहा जाता है कि विश्वनाथ प्रताप सिंह के भाई की हत्या डाकुओं ने कर दी थी। इसके बारे में कई कहानियां चलती हैं। सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए डाकुओं के खिलाफ कई अभियान चलाए थे। लोग कहते हैं कि इसीलिए डाकुओं ने उनके भाई को मार दिया था। लेकिन सिंह ने सच्चाई कुछ और बताई। इनके मुताबिक मार्च 1982 में इनके भाई चंद्रशेखर प्रसाद सिंह बच्चों के साथ शिकार पर गए थे।
उस वक्त वो जज हुआ करते थे। शंकरगढ़ के जंगल में शिकार शुरू हुआ। वहां डाकुओं का एक छोटा गिरोह रहता था। उनको गफलत हो गई। उन्हें नहीं पता था कि ये जज हैं और मुख्यमंत्री के भाई हैं। उन्होंने गोली चला दी। चंद्रशेखर को गोली लग गई और उनकी मौत हो गई।

 

निर्दलीय उम्मीदवार धरतीपकड़ को तलाशकर लाए वीपी
अमेठी में जब राजीव गांधी चुनाव लड़ रहे थे, तब वहां एक निर्दलीय उम्मीदवार धरतीपकड़ भी लड़ रहे थे। कुछ दिनों तक प्रचार करने के बाद वो गायब हो गए, तो वीपी सिंह ने उनके बारे में पता करवाया, क्योंकि अंदेशा हो रहा था कि उन्हें मरवा दिया गया है। पता चला कि वो मध्य प्रदेश में रह रहे हैं, तो उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई।

 

 

 

टैक्स चोरी करने के मसले को खूब उठाया

जब वीपी सिंह फाइनेंस मिनिस्टर थे, तब वो धीरूभाई अंबानी और अमिताभ बच्चन के टैक्स चोरी करने के मसले को खूब उठाया था। कहा जाता है कि ये लोग बहुत टैक्स बचाते थे। ये भी कहा जाता है कि वीपी सिंह की इसी जिद के चलते उन्हें फाइनेंस से हटाकर डिफेंस मिनिस्ट्री में डाल दिया गया। वहां पर वीपी ने बोफोर्स घोटाले को लेकर बहुत से पेपर निकाले।

 

ऐसे गिरी इनकी सरकार
बोफोर्स मामले के बाद राजीव ने वीपी सिंह को कांग्रेस से निकाल दिया, तो इन्होंने अपनी पार्टी बना ली। 1989 के लोकसभा इलेक्शन में लड़े और जीतकर प्रधानमंत्री बन गए। लेकिन वीपी की सरकार संसद में विश्वास मत हार गई और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।
विश्वास प्रस्ताव सरकार की ओर से अपना बहुमत और मंत्रिमंडल में सदन का विश्वास स्थापित करने के लिए लाया जाता है।
27 नवम्बर 2008 को वीपी इस दुनिया को अलविदा कह गए…Next

 

 

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