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Bhairon Singh Shekhawat-भारत के ग्यारहवें उप-राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत

Bhairon Singh Shekhawatभैरो सिंह शेखावत का जीवन-परिचय

भारत के ग्यारहवें उप-राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर, 1923 को राजस्थान के सीकर जिले में हुआ था. पिता की मृत्यु हो जाने के कारण भैरो सिंह शेखावत केवल स्कूल स्तर की पढ़ाई ही संपन्न कर पाए. परिवार को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से शेखावत ने किसान और सब-इंसपेक्टर के रूप में भी कार्य किया था. इनकी पत्नी का नाम सूरज कंवर था. भैरो सिंह शेखावत के तीन बच्चे (एक बेटी और दो बेटे) हैं. भैरो सिंह शेखावत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे.


भैरो सिंह शेखावत का व्यक्तित्व

राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत को बाबोसा (परिवार का सबसे बड़ा सदस्य) कहकर संबोधित किया जाता था. इसी से यह ज्ञात हो जाता है कि वह एक जिम्मेदार और परिपक्व राजनेता थे. वह अपने नागरिकों के विकास को लेकर हमेशा प्रयासरत रहा करते थे. मंझे हुए राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी भी थे.


भैरो सिंह शेखावत का राजनैतिक सफर

भैरो सिंह शेखावत ने वर्ष 1952 में राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश किया. वर्ष 1977 तक जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने देश के लगभग हर राज्य पर अपनी सत्ता कायम कर ली थी, उस समय भी शेखावत की लोकप्रिय छवि के कारण वह राजस्थान में अपने पांव नहीं जमा पाई थी. वर्ष 1967 के चुनावों के दौरान भैरो सिंह शेखावत ने राजनैतिक दल भारतीय जन संघ और स्वतंत्र पार्टी को संगठित कर सरकार का निर्माण करना चाहा, पर वह सफल नहीं हो सके. लेकिन 1977 में जब संघ परिवार को सर्व आयामी विजय प्राप्त हुई, उस समय शेखावत के गठबंधन दल को भारी बहुमत के साथ विजय प्राप्त हुई. इस दौरान भैरो सिंह शेखावत राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए गए. 1980 में इस संगठन के टूट जाने के बाद भैरो सिंह शेखावत ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. 1984 में जब इन्दिरा गांधी के प्रभाव की वजह से बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा, कांग्रेस ने राजस्थान में भी अपनी सत्ता स्थापित कर ली थी. 1989 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल के गठबंधन ने आगामी लोकसभा चुनावों में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की. इस जीत के बाद भैरो सिंह शेखावत दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए. आने वाले चुनावों में गठबंधन के टूट जाने के बावजूद भैरो सिंह शेखावत के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 1998 में प्याज के दाम में अत्याधिक वृद्धि हो जाने के कारण भैरो सिंह शेखावत की सरकार सफल नहीं हो पाई. लेकिन 1 वर्ष बाद 1999 में ही भारतीय जनता पार्टी को फिर एक बार सत्ता में आने का मौका मिला और भैरो सिंह शेखावत देश के उप-राष्ट्रपति बनाए गए.

भैरो सिंह शेखावत एन.डी.ए. सरकार की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में खड़े हुए लेकिन कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से हार गए. वर्ष 2007 में उन्होंने अपने उप-राष्ट्रपति के पद से भी इस्तीफा दे दिया.


भैरो सिंह शेखावत का निधन

भैरो सिंह शेखावत कैंसर से पीड़ित थे. उन्होंने देश के लगभग हर बड़े अस्पताल में अपना इलाज करवाया. 15 मई, 2010 को सवाई मान सिंह अस्पताल, जयपुर में उनका निधन हो गया. राजस्थान सरकार द्वारा उपलब्ध एक प्लॉट में भैरो सिंह शेखावत का दाह संस्कार किया गया. इस स्थान पर भैरो सिंह शेखावत का स्मारक बनाने की योजना के अंतर्गत काम चल रहा है.

राजनैतिक कृत्यों के कारण ही नहीं बल्कि भैरो सिंह शेखावत को समाज के सभी वर्गों के लिए किए गए बेहतर प्रबंधन के लिए भी याद किया जाता है. शेखावत ने अंत्योदय योजना की शुरूआत की, जिसका उद्देश्य के प्रदेश के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी सुविधा पहुंचाना था. वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैक ने भैरो सिंह शेखावत को भारत का रॉक फेलर कहकर संबोधित किया था. शेखावत नौकरशाहों और पुलिस पर भी नियंत्रण रखते थे. उन्होंने राजस्थान में शिक्षा और औद्योगीकरण के प्रचार-प्रसार में भी अपना उत्कृष्ट योगदान दिया.


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