कृष्णकांत का जीवन परिचय
भारत के दसवें उपराष्ट्रपति रह चुके कृष्ण कांत का जन्म 28 फरवरी, 1927 को लाहौर में हुआ था. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर पूरा करने के बाद वह नई दिल्ली स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत रहे. कृष्णकांत की पत्नी का नाम सुमन कृष्णकांत था.
कृष्णकांत का व्यक्तित्व
कृष्णकांत पेशे से वैज्ञानिक थे. वह एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी भी थे.
कृष्णकांत का राजनैतिक सफर
लाहौर में अपनी पढ़ाई के दौरान ही कृष्णकांत स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए थे. भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण आजादी के बाद उन्हें संसद में शामिल किया गया. इन्दिरा गांधी के काल में कृष्णकांत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की युवा तुर्क शाखा में रह चुके थे. कृष्णकांत वर्ष 1966-177 तक लोकसभा सदस्य और 1977-1980 तक राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं. कृष्णकांत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल के अधीन कई विशिष्ट पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इसके अलावा वह रक्षा अध्ययन और विश्लेषण की कार्यकारी संस्था के भी सदस्य भी रह चुके हैं. वर्ष 1976 में जयप्रकाश नारायणन के साथ मिलकर इन्होंने पिपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना की. वह इसके अध्यक्ष भी नियुक्त हुए. आपातकाल का विरोध करने पर सन 1975 में कृष्णकांत को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था. वर्ष 1989 में वी.पी. सिंह की सरकार के अंतर्गत वह आंध्रप्रदेश राज्य के राज्यपाल नियुक्त किए गए. इस पद पर वह सात वर्षों तक काबिज रहे. इसके बाद वह सीधे भारत के उपराष्ट्रपति बने.
कृष्णकांत का निधन
नई दिल्ली में 27 जुलाई, 2002 को कृष्णकांत का देहांत हो गया. यह एकमात्र ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिनका निधन ऑफिस में ही हुआ था.
इन सब राजनैतिक पदों के अलावा कृष्णकांत दिल्ली विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, पुद्दुचेरी यूनिवर्सिटी, असम विश्वविद्यालय के भी चांसलर और विभिन्न सरकारी मान्यता प्राप्त अवार्ड समितियों के जूरी के सदस्य के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
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