स्कूटर वाले और सर्जिकल स्ट्राइक वाले मनोहर पर्रिकर, सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे ही शब्दों के साथ मनोहर पर्रिकर को श्रद्धाजंलि दी जा रही है। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया। वे लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। पिछले कुछ दिनों से उनकी परेशानी बढ़ गई थी। इसके बाद उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उनकी हालत सुधारने की कोशिश की, लेकिन उनकी स्थिति लगातार गिरती गई। दुनिया को अलविदा कह देने के बाद भी उनकी जिंदादिली की बहुत तारीफ हो रही है।
1988 में भाजपा में हुए थे शामिल
मनोहर गोपालकृष्ण पर्रिकर का जन्म गोवा के मापुसा में 13 दिसंबर 1955 को हुआ था। पर्रिकर स्कूली शिक्षा के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। इसके बाद वे 26 साल की उम्र में मापुसा के संघ चालक बने। 1988 में भाजपा में शामिल हुए। इस दौरान वे राम जन्मभूमि आंदोलन का भी प्रमुख हिस्सा रहे।
स्कूटर से जाते थे विधानसभा, ऐसे ही किया था चुनाव प्रचार
गोवा के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पर्रिकर स्कूटर से विधानसभा जाते थे। रक्षामंत्री रहने के दौरान भी वे प्लेन में इकोनॉमी क्लॉस में ही सफर करते थे। पर्रिकर की छवि देश के बेदाग नेता वाली थी। किसी भी घोटाले में उनका नाम नहीं आया था। इसी छवि के चलते वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड लिस्ट में शामिल थे। उनकी सादगी ऐसी थी कि वे बड़े-बड़े सम्मेलनों में हवाई चप्पल और हॉफ शर्ट में भी पहुंच जाते थे। शुरुआती दिनों में जब उनके पास कार नहीं थी, तो उन्होंने स्कूटर पर ही चुनाव प्रचार किया था।
पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझते हुए भी हॉस्पिटल में करते थे काम
उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर था। पिछले साल से उनका गोवा, मुंबई, अमेरिका और दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था। इसके बाद भी उन्होंने इस बार के बजट सत्र में हिस्सा लिया और 30 जनवरी को बजट पेश किया था। इसके अगले दिन वे इलाज के लिए दिल्ली एम्स चले गए और 5 फरवरी को गोवा लौट आए थे। पर्रिकर को पिछले कुछ समय में जब भी किसी योजना का शिलान्यास करते या सार्वजनिक कार्यक्रम में देखा गया, वे चिकित्सीय उपकरणों से लैस ही थे। नासोगेस्ट्रिक ट्यूब उनके चेहरे पर लगी रहती थी। उनका ईलाज करने वाले डॉक्टर जगन्नाथ के मुताबिक, ‘इस दौरान वह कभी भी राज्य के कामकाज से दूर नहीं रहे। हॉस्पिटल में होने के बावजूद, वह हॉस्पिटल में अपने स्टाफ के साथ रोजाना के ऑफिस के काम कर रहे थे। जब मैं उनसे मिलने न्यूयॉर्क गया था, तो मैंने देखा कि वह वहां भी काम कर रहे हैं और अपने स्टाफ से कुछ जानकारियां जुटाने के लिए कह रहे हैं। वह जब भी बाहर होते हैं, वह हमेशा गोवा वापस जाने के इंतजार में होते हैं।
2017 में बहुमत में न आने के बाद भी गोवा में सरकार बनाई
गोवा में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए। इस दौरान पर्रिकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस राज्य की सबसे बड़ी पार्टी थी। पर्रिकर को पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए केंद्र की राजनीति से राज्य की राजनीति में लौटना पड़ा। वे 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य में सिर्फ 14 सीटों के साथ भाजपा को सत्ता में पहुंचाने में कामयाब हुए।
मनोहर पर्रिकर 24 अक्टूबर, 2000 को पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उनकी सरकार 27 फरवरी, 2002 तक चली। दूसरी बार 2002 से 2005 तक, तीसरी बार मार्च 2012 से 8 नवंबर 2014 तक और चौथी बार 2017 से अब तक उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री का पद संभाला।
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