Youngest President Of India Neelam Sanjeeva Reddy : भारत के 6ठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का राजनीतिक सफर काफी रोमांचक रहा है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई ऐसे विकासपरक कार्य किए हैं जिन्हें आज भी याद किया जाता है। जमीन से जुड़े नेता की पहचान बनाने वाले नीलम संजीव रेड्डी की जीवन में एक पल ऐसा भी आया जब उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति पद से इस्तीफा दे दिया था। आइये जानते हैं उनकी जिंदगी के कुछ दिलचस्प किस्से।
बापू के आह्वान पर अंग्रेजों से जंग
आंध्र प्रदेश के सामान्य परिवार में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी बचपन से ही नेतृत्व की क्षमता विकसित हो गई थी जो बड़े होकर राष्ट्रपति बनकर संपन्न हुई। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान जब संजीव 18 वर्ष के थे तभी अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने पढ़ाई भी बीच में छोड़ दी।
जेल से लौटे तो नेता बनकर उभरे
सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन में संजीव ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर संजीव को कई बार जेल में भी बंद किया गया। उनके समर्थकों के कारण अंग्रेज उन्हें हर बार छोड़ने को मजबूर हुए। जेल से निकलने के बाद संजीव कांग्रेस के नेता बनकर उभरे। वह 10 साल तक कांग्रेस के सामान्य सचिव रहे।
बेटे की मौत से दुखी होकर अध्यक्ष पद छोड़ा
आंध्र प्रदेश में कुमारस्वामी राजा की सरकार में नीलम संजीव रेड्डी मंत्री बनाए गए। इसके बाद वह कांग्रेस की प्रदेश कार्यसमिति के अध्यक्ष चुने गए। इस दौरान संजीवन के 5 वर्षीय बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। बेटे के दुख से निराश संजीव रेड्डी ने राजनीति से दूर होने के इरादे से इस्तीफा दे दिया। बाद में उन्हें कांग्रेस नेतृत्व ने किसी तरह मना लिया।
सबसे युवा सीएम का दर्जा मिला
विधानसभा और राज्यसभा सदस्य बनने वाले संजीव रेड्डी 1956 में गठित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री चुने गए। उस वक्त संजीव की उम्र मात्र 43 साल थी और वह देश के सबसे युवा सीएम कहलाए। सीएम रहते हुए संजीव ने आंध्र प्रदेश में विकासकार्यों से कायापलट कर दी। कुछ समय तक सीएम रहने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
राष्ट्रपति बनने से चूके
केंद्र सरकार में कई बार मंत्री बने संजीव रेड्डी 1967 में लोकसभा की स्पीकर चुने गए। दो साल बाद ही 1969 में संजीव रेड्डी राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित हुए तो लोकसभा स्पीकर पद छोड़ दिया। लेकिन, इस ऐतिहासिक राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस दो भागों में कांग्रेस ओ और कांग्रेस आई में बंट गई। संजीव रेड्डी ने कांग्रेस ओ के साथ चले गए और वह राष्ट्रपति बनने से चूक गए।
राजनीति छोड़ खेतीबाड़ी करने लगे
इस बीच लोकसभा चुनाव में संजीव रेड्डी को अपनी सुरक्षित सीट से बुरी हार का सामना करना पड़ा। इस हार से निराश होकर संजीव ने राजनीति छोड़ने का मन बनाकर पैतृक निवास लौट गए और वहीं पर खेतीबाड़ी करने लगे। लंबे समय बाद 1975 में वह जय प्रकाश नारायण के मनाने पर राजनीति में लौटै और 6ठे लोकसभा चुनाव में भारी अंतर से जीत हासिल की।
सबसे कम उम्र के 6ठे राष्ट्रपति बने
1977 में संजीव रेड्डी लोकसभा के स्पीकर नियुक्त किए गए। इसके दो साल बाद ही उन्हें सर्वसम्मति से कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किया। इस चुनाव में नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध राष्ट्रपति चुन लिया गया। संजीव 64 बरस की उम्र में देश के 6ठे राष्ट्रपति चुने गए। सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति होने का गौरव भी संजीव रेड्डी को हासिल हुआ।…NEXT
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