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आखिर अमित शाह को टिकट क्यूं ?

narendra-modi dangaभारतीय राजनीति में दागियों का चलन काफी पुरानी बात है. यहां कितना भी अपना गिरेबान बचाया जाए दाग तो लग ही जाता है और राजनीतिक पार्टियों को इस दाग का बहुत फायदा भी मिलता है. अपनी कामयाबी और सत्ता में रहने के लिए यह इनका प्रयोग करना अच्छे से जानते हैं. नरेंद्र मोदी तो हमेशा ही विवादों में घिरे रहते हैं और शायद यह उन्हें पसंद भी है क्योंकि इसकी वजह से उन्हें चर्चाओं में बने रहने के लिए कोई अलग से कवायद नहीं करनी पड़ती. एक बार फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी विवाद में घिरते नज़र आ रहे हैं.


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गुजरात चुनाव: गुजरात आजकल चुनाव को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है जिसका एक कारण नरेन्द्र मोदी भी हैं. आरोपों से लिप्त अमित शाह को फिर से चुनावी टिकट देना भाजपा को विवाद में खड़ा करता है. जो शख्स आज तक बिना विवाद के सुर्खियों में आया ही नहीं उसे चुनाव का टिकट देना भाजपा की एक बड़ी भूल सबित हो सकती है. इसके साथ ही कांग्रेस को भी एक अच्छा मौका मिल गया है गुजरात में अपने प्रभुत्व को स्थापित करने का और विपक्ष के खिलाफ बोलने का. जहां अपने पैर रखने में कांग्रेस को दिक्कत हो रही थी वहीं अमित शाह को टिकट देकर भाजपा ने उसकी मदद ही की है.


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दागियों का चलन: राजनीति में हमेशा से ही ऐसे राजनेताओं का चलन रहा है. इनकी जरुरत खास कर इसलिए होती है क्योंकि इनका वर्चस्व होता है और ये एक खास तरह से पार्टी को सहायता पहुंचा सकते हैं. अमित शाह पर सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में फर्जी एनकाउंटर कराने के आरोप लगे हैं. इसके बावजूद उनको टिकट मिलना खुद में एक बड़ा सवाल पैदा करता है कि क्या भाजपा पूरी तरह से ऐसे नेताओं पर आश्रित हो गई है. इन प्रकार के राजनेताओं की एक और खास विशेषता है कि ये आम नेताओं से ज्यादा बहुमत से चुनाव जीतते हैं. कहीं ना कहीं यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आज की राजनीति बिकती जा रही है और ऐसे नेताओं को रखना एक फैशन बनता जा रहा है.


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नरेन्द्र मोदी बने निशाना: इसके कारण कहीं नरेन्द्र मोदी न मुसीबत में आ जाए यह देखने वाली बात होगी. मोदी ने जिस प्रकार यह बात फैलाई थी कि वो कट्टरवाद को परे रखते हैं पर इस बार भी उनकी यह बात सफल नहीं हुई. इस बार की तालिका में एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है. यह सब एक प्रखर कारण के रुप में उभर के आने वाला है गुजरात के चुनाव में और अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस किस तरह से इन सब का फायदा उठाती है और भाजपा किस तरह से अपने आप को फिर से गुजरात के लिए सक्षम कर पाती है.


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