Menu
blogid : 321 postid : 1390957

प्रधानमंत्री ने खुद किया प्रचार फिर भी चुनाव नहीं जीत सके पटौदी के नवाब

देश में कई ऐसे प्रत्‍याशी रहे हैं जो देश के टॉप लीडर्स के भारी समर्थन और रैलियों में शामिल होने के बावजूद भी चुनाव जीत नहीं सके। ऐसी ही कहानी है पटौदी के नवाब की। दरअसल, हम बात कर रहे हैं क्रिकेट की दुनिया में शोहरत हासिल करने के बाद पॉलिटिक्‍स में उतरने वाले मशहूर शख्सियत मंसूर अली खान पटौदी की। नवाब पटौदी के नाम से चर्चित रहे इस शख्‍स का आज यानी 5 जनवरी को जन्‍मदिन है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan5 Jan, 2020

 

 

 

चांदी का चम्‍मच लेकर पैदा हुए
क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचाने वाले मंसूर अली खान पटौदी का जन्‍म 5 जनवरी 1941 को भोपाल के नवाबी खानदान में हुई थी। चांदी का चम्‍मच लेकर पैदा होने की कहावत मंसूर अली खान पर सटीक बैठती है। तमाम सुख सुविधाऔं से लैस और आलीशान जिंदगी के हकदार मंसूर अली खान बेहद प्रतिभाशाली और महत्‍वाकांक्षी थे। देहरादून और इंग्‍लैंड से शिक्षा हासिल करने के बाद जब वह इंग्‍लैंड से भारत लौटे तो अपने साथ क्रिकेट का जुनून लेकर आए। इस दौरान उन्‍हें पटौदी स्‍टेट का नवाब बना दिया गया।

 

 

 

 

फैंस की डिमांड पर लगाते थे बाउंड्री
आजादी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्‍सा बने मंसूर अली खान को मात्र 21 वर्ष की उम्र में कप्‍तानी मिल गई। तेजतर्रार बल्‍लेबाज के तौर पर मशहूर रहे नवाब पटौदी जहां चाहते थे वहां बाउंड्री मारते थे। कहा जाता है कि उनमें इतनी काबिलियत थी कि वह दर्शकों की डिमांड पर और उनकी ही दिशा में छक्‍का जड़ देते थे। 46 टेस्‍ट मैच खेलने वाले मंसूर अली खान के नाम विदेशी धरती पर पहली बार भारत को जीत दिलाने का कीर्तिमान दर्ज है।

 

 

Photos: Twitter

 

 

 

लोकप्रियता को चुनाव में लगा झटका
क्रिकेट में शोहरत हासिल करने वाले नवाब पटौदी जनता में काफी लोकप्रिय थे और वह अपने क्षेत्र में बेहद सम्‍मानित व्‍यक्ति थे। अपने करीबी मित्रों की सलाह पर मंसूर अली खान ने राजनीति में उतरने का मन बनाया। वह पहली बार 1971 में विधानसभा चुनाव में पटौदी स्‍टेट चुनाव क्षेत्र से मैदान में उतरे। लेकिन इस चुनाव में नजीदीकी अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इस हार से उनकी सम्‍मान को काफी धक्‍का पहुंचा और उन्‍होंने राजनीति में नहीं रहने का मन बना लिया।

 

 

 

 

पीएम के प्रचार के बाद भी हार गए चुनाव
लंबे समय तक राजनीति से दूरी रखने के वाले मंसूर अली खान को भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस ने संपर्क किया और 1991 के लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्‍याशी बनाने का प्रस्‍ताव दिया। पिछली हार से आहत मंसूर अली खान ने प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया। काफी मान मनौव्‍वल के बाद मंसूर अली खान इस बात पर राजी हुए कि उनके समर्थन में प्रधानमंत्री राजीव गांधी को रैली करनी होगी। राजीव गांधी के रैली के बाद भी चुनाव नतीजे मंसूर अली खान के पक्ष में नहीं आए और वह भाजपा प्रत्‍याशी से हार गए।…NEXT

 

 

Read More :

बीजेपी में शामिल हुई ईशा कोप्पिकर, राजनीति में ये अभिनेत्रियां भी ले चुकी हैं एंट्री

यूपी कांग्रेस ऑफिस के लिए प्रियंका को मिल सकता है इंदिरा गांधी का कमरा, फिलहाल राज बब्बर कर रहे हैं इस्तेमाल

इस भाषण से प्रभावित होकर मायावती से मिलने उनके घर पहुंच गए थे कांशीराम, तब स्कूल में टीचर थीं बसपा सुप्रीमो

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh