पूर्वोत्तर के तीन राज्यों, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनावी शोर थम गया है। तीनों राज्यों में वोटिंग के बाद अब सबकी नजर परिणाम पर है। सियासी पंडित अपने-अपने हिसाब से मतदान का विश्लेषण करने में जुटे हैं। हालांकि, 3 मार्च को यह स्पष्ट हो जाएगा कि इन तीनों राज्यों में कहां किसकी सरकार बनेगी, क्योंकि 3 मार्च को काउंटिंग होगी और नतीजों की घोषणा की जाएगी। इस दिन एक ओर जहां सबकी निगाह इन राज्यों के परिणामों पर होगी, वहीं दूसरी ओर नागालैंड के इतिहास पर भी नजर रहेगी। नागालैंड के चुनाव परिणाम से यह भी स्पष्ट होगा कि यहां महिलाओं के विधानसभा न पहुंचने का इतिहास बदलेगा या बरकरार रहेगा। आइये आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
चुनावी मैदान में इस बार पांच महिलाएं
नागालैंड विधानसभा चुनाव के इतिहास में आज तक कोई महिला विधायक नहीं बनी है। इस बार चुनावी मैदान में यहां पांच महिलाएं उतरीं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार के चुनाव में महिलाएं नया चुनावी ट्रेंड स्थापित कर सकती हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार ज्यादा महिलाओं ने नॉमिनेशन फाइल किया है। 2013 में केवल दो महिलाओं ने नॉमिनेशन फाइल किया था। अब चुनाव परिणाम से तय होगा कि नागालैंड में पहली बार कोई महिला विधायक बनेगी या इतिहास बरकरार रहेगा।
आज तक चुनाव में उतरीं मात्र 30 महिलाएं
नागालैंड साल 1963 में राज्य बना। राज्य बनने के बाद अब तक हुए चुनावों में केवल 30 महिलाओं ने ही नॉमिनेशन फाइल किया है। 1977 में केवल रानो एम शाइजा यहां से चुनकर लोकसभा पहुंची थीं। तब से अब तक कोई भी महिला विधानसभा या लोकसभा नहीं पहुंची है। इस बारे में महिला प्रत्याशी अवान कोनयक का कहना है कि महिलाओं के विधानसभा न पहुंच पाने के लिए पुरुषों को दोष देना गलत है। इसके लिए खुद महिलाएं ही जिम्मेदार हैं। वे खुद आगे आकर नागालैंड की राजनीति में नहीं आईं, लेकिन अब वक्त बदला है, महिलाओं को आगे आना ही होगा। उन्होंने बताया कि मेरे तीन भाई हैं। चाहते तो वे भी चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन नागालैंड के लोगों से मिल रहे समर्थन के बाद मैं इस बार चुनावी मैदान में उतरी हूं।
खुद को राजनीति के लिए फिट नहीं समझतीं महिलाएं
गौरतलब है कि अवान उन पांच महिला प्रत्याशियों में से एक हैं, जो इस बार चुनाव लड़ रही हैं। वे नागालैंड के पूर्व शिक्षा मंत्री न्येईवांग कोनयक की बेटी हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लिंग्विस्टिक्स में एमए किया है। वे नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। यहां के लोगों का मानना है कि नागालैंड में महिलाओं की दशा अच्छी नहीं है, इसलिए वे राजनीति में आगे नहीं आती हैं। यहां महिलाओं की विचारधारा अलग है। वे खुद को राजनीति के लिए फिट नहीं समझतीं, इसलिए वे आगे नहीं आती हैं।
कम उम्र की भी प्रत्याशी
अवान के अलावा तुएनसांग संसदीय क्षेत्र से राखिला चुनावी मैदान में हैं। वे बीजेपी के टिकट से दूसरी बार यहां से चुनाव लड़ रही हैं। फिलहाल राखिला बीजेपी स्टेट वाइस प्रेसिडेंट हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी ने दो महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है। इनमें से डॉ. के मंज्ञानपुला मेडिकल प्रैक्टिस कर रही हैं, जबकि 27 साल की वेदीऊ क्रोनु सबसे कम उम्र की प्रत्याशियों में से एक हैं। इसके अलावा रेखा रोज दुक्रू ने भी निर्दलीय नॉमिनेशन भरा है…Next
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