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चीन या पाक से हुई जंग तो भारतीय सेना के पास केवल 10 दिन का गोला-बारूद! पीएम से हुई चूक

भारतीय सेना की साहस और ताकत के आगे पूरी दुनिया झुकती है और हर सेना इनका लोहा भी मानती है. पिछले कुछ दिनों ने चीन और भारत के बीच तनाव की स्थिती बनी हुई है, चीन जबानी जंग शुरु कर चुका है युद्ध के लिए भारत को उकसा भी रहा है. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की तरफ से आए दिन गोलीबारी और सीजफायर की उल्लघंन होता रहता है. ऐस में भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरिक्षक (कैग) की एक रिर्पोर्ट ने सबको सकते में ड़ाल दिया है ये कहर भी भारतीय सेना युद्ध में इस वजह से ज्यादा दिन नहीं टिक सकती है.

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10 दिन का ही है गोला-बारूद!

दरअसल कैग ने कहा कि अगर जंग छिड़ती है तो भारतीय सेना के पास इतने गाला-बारूद भी नहीं कि वह 10 दिन तक जंग लड़ सके. पाकिस्तान और चीन के साथ कई मोर्चों पर जारी तनाव के बीच आई यह रिपोर्ट भारतीय सेना की स्थिति को कमजोर करता है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय सेना के पास गोला-बारूद की इस कमी के लिए आयुध कारखाना बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि इस किल्लत के लिए कई दूसरे कारक माने जा रहे हैं.


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गोला-बारूद की गुणवत्ता में कमी

पोर्ट में कहा गया है कि आर्मी हेडक्वॉर्टर ने 2009 से 2013 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक पेंडिंग थे. 2013 से ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की ओर से सप्लाई किए जाने वाले गोला-बारूद की गुणवत्ता और मात्रा में कमी पर ध्यान दिलाया गया, लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. गोला-बारूद के डिपो में अग्निशमनकर्मियों की कमी रही और उपकरणों से हादसे का खतरा रहा.


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भारतीय सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना

भारतीय सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसमें 13 लाख से ज्यादा सैनिक हैं. सैनिकों की इतनी बड़ी संख्या की वजह से हथियारों और गोलाबारूद का स्टॉक बनाए रखना मुश्किल हो जाता है. वहीं सैन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी मात्रा में गोला-बारूद के रखरखाव की भी समस्या होती है. आम तौर पर गोलियों और गोलों को अच्छी तरह से रखा जाए, तो वह दशकों तक सही रहते हैं. लेकिन बड़ी मात्रा में गोला-बारूद स्टोर करके रखने से इतनी गुणवत्ता खराब होने लगती है और इस्तेमाल के वक्त समस्या होती है.

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मेक इन इंडिया बना रोड़ा

इसके साथ ही रक्षा खरीद में रुकावट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया पहल पर जोर को भी एक वजह माना गया. इस महत्वकांक्षी योजना के तहत पीएम मोदी ने साल 2014 में हथियारों और गोला-बारूद का आयात कम करते हुए भारत में इनका निर्माण बढ़ाने की घोषणा की थी. कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात पर हैरानी जताई कि सैन्य मुख्यालय की तरफ से वर्ष 2009-13 में ही शुरू की गई खरीद कोशिशें जनवरी 2017 तक अटकी पड़ी थीं.


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रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना के पास मौजूद 152 तरह के गोला-बारूद में से सिर्फ 20 फीसदी को ही संतोषजनक माना गया है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है. साल 2012 से 2016 के बीच दुनिया भर में हुए हथियारों के कुल आयात का 13 फीसदी हिस्सा भारत ने किया…Next


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