रानी मधुमक्खी थीं इन्दिरा गांधी
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का कहना था कि भारत मधुमक्खी के छत्ते की तरह है, ऐसा छत्ता जो ताकत और जटिलताओं से भरा पड़ा है. उनके इस बयान पर विरोधियों ने कई वार किए, कांग़्रेस के युवराज को खूब लताड़ा लेकिन विकीलीक्स के एक नए खुलासे में यह साफ हुआ है कि असल में मधुमक्खी का छत्ता भारत नहीं एक जमाने में उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस को ही कहा जाता था और इस मधुमक्खी के छत्ते की रानी मधुमक्खी थीं उनकी दादी और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी.
अपनी ताकत बढ़ाने के लिए थोपा था आपातकाल
अमेरिकी केबल के अनुसार कांग्रेस के विभाजन के बाद वे गुट जिसने खुद को इन्दिरा गांधी के नेतृत्व से अलग कर लिया था उस गुट के नेता रहे एस. निलजलिंगप्पा ने वर्ष 1973 में कहा था कि इन्दिरा गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस पार्टी मधुमक्खी के एक छत्ते के समान है और उस छत्ते में राज चलता है सिर्फ इन्दिरा का.. इन्दिरा जैसे ही आती हैं सारी मधुमक्खियां उन्हें घेर लेती हैं.
खोजी वेबसाइट विकीलीक्स द्वारा इस बार गांधी परिवार को निशाना बनाया जा रहा है. पहले राजीव गांधी पर स्वीडन एयरक्राफ्ट की ओर से दलाल बनने जैसा आरोप लगाया गया और अब निशाना साधा है राजीव की मां और भारत की आयरन लेडी इन्दिरा गांधी पर.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान 1975 में इन्दिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगवाया था. विकीलीक्स के इस नए खुलासे के अनुसार इन्दिरा ने देश में आपातकाल अपने निजी राजनैतिक मंतव्यों को पूरा करने के लिए लगवाया था, उसका देश के तात्कालिक हालातों से कुछ भी लेना-देना नहीं था.
विकीलीक्स के खुलासे के अनुसार इन्दिरा प्रेस, संसद और न्यायालय की ताकत को कमजोर करना चाहती थीं, वह अपने ऊपर किसी भी तरह का दबाव या अपने मार्ग में किसी भी प्रकार की रुकावट को सहन नहीं कर पा रही थीं इसीलिए उन्होंने एक साल तक देश को आपातकाल की भट्टी में झोंके रखा.
उनके द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का फायदा मिला उनके बेटे संजय को और उनका राजनीति में प्रवेश कर पाना आसान हो गया.
जयप्रकाश नारायण से घबराती थीं मिसेज गांधी
एक बेहद गोपनीय राजनयिक दस्तावेज के अनुसार 8 नवंबर, 1974 को डैनियल पैट्रिक मोएनियन, जो उस समय भारत में अमेरिका के राजदूत के तौर पर मौजूद थे, ने कहा था कि इन्दिरा गांधी के कार्यकाल में भारत के राजनैतिक हालात पूरी तरह अस्थिर और बिगड़ गए हैं और जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाया जा रहा अभियान भारत के राजनीति को फिर से एक बार नैतिकता की ओर ले जाएगा.
पैट्रिक का यह भी कहना था कि नेहरू, जयप्रकाश नारायण को उपमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन सत्ता, ताकत से खुद को दूर रखने वाले, आजीवन विवाह ना करने का प्रण लेने वाले, गांधी के सिद्धांतों पर चलकर जीवन व्यतीत करने वाले नारायण के आदर्शों को भारत की राजनीति से अलग नहीं किया जाना चाहिए था. जय प्रकाश नारायण ऐसे बहुत से भारतीयों के लिए आदर्श थे जिन्होंने पाश्चात्य संस्कृति को नहीं अपनाया था. तत्कालीन राजदूत का यह भी कहना था कि भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी अपनी ताकत पर किसी की भी चुनौती बर्दाश्त नहीं कर सकती थीं और उनके लिए जयप्रकाश का होना ऐसा ही था जैसे ब्रिटिश साम्राज्य के लिए महात्मा गांधी का होना था.
विकीलीक्स के इन खुलासों के बाद एक बार फिर कांग्रेस और इन्दिरा गांधी की कार्यप्रणाली, जो वैसे ही विवादित रही है, सवालों के घेरे में आ गई है. विकीलीक्स अपने खुलासे पुख्ता दस्तावेजों के आधार पर करता है, अब इन्दिरा गांधी के ऊपर ऐसे आरोप लगाए गए हैं तो जाहिर है इनमें कुछ तो सच्चाई होगी.
यह कहीं तीसरे विश्व युद्ध की आहट तो नहीं !!
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