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इन्दिरा गांधी के लिए जरूरी नहीं थे संजय गांधी

राजीव गांधी, इन्दिरा गांधी और अब संजय गांधी, जाहिर है इस बार खोजी वेबसाइट विकीलीक्स ने गांधी परिवार को अपना निशाना बनाया है. संबंधित काल से जुड़ी केबलों का हवाला देते हुए विकीलीक्स ने पुख्ता सबूतों के आधार पर पहले यह दावा किया था कि राजीव गांधी स्वीडिश एयरक्राफ्ट की ओर से दलाली का काम करते थे और फिर निशाना साधा गया इन्दिरा पर. विकीलीक्स द्वारा भारत की इस आयरन लेडी और देश की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के विषय में यह खुलासा किया गया कि 1975 में इन्दिरा गांधी ने भारत में जो आपातकाल लगाया था उसके पीछे उनके निजी राजनैतिक मंतव्य थे. वह प्रेस, संसद की ताकत को कमजोर करना चाहती थीं इसीलिए देश को आपातकाल की भट्टी में झोंका गया. इतना ही नहीं विकीलीक्स के एक अन्य खुलासे में यह जाहिर हुआ कि इन्दिरा गांधी के काल में राजनैतिक हालात बिगड़ गए थे, राजनीति और नैतिकता का कोई संबंध नहीं रहा था. ऐसे में जयप्रकाश नारायण जिनके नेतृत्व में भारतीय राजनीति में नैतिकता फिर एक बार दस्तक दे सकती थी, उन्हें दबाने का प्रयास किया गया. इन्दिरा गांधी जय प्रकाश नारायण से उसी तरह डरती थीं जिस तरह ब्रिटिश हुकूमत महात्मा गांधी से खौफ खाती थी.


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अब अपने नए खुलासे में विकीलीक्स ने यह दावा किया है कि आपातकाल के दौरान संजय गांधी को मारने के लिए तीन-तीन जानलेवा हमले किए गए थे अर्थात उन्हें तीन बार जान से मारने की कोशिश की गई थी. उस समय राजनीति के उभरते सितारे और बेहद महत्वपूर्ण व्यक्तित्व संजय गांधी जब एक बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर गए थे तब उन्हें वहां अत्याधुनिक राइफल से मारने की भी कोशिश की गई थी, लेकिन वह इन तीनों हमलों से बच गए थे.

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विकीलीक्स के खुलासों के अनुसार 1976 में भारत स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से अमेरिका में एक केबल भेजा गया था जिसके अनुसार 30-31 अगस्त, 1976 के बीच एक अज्ञात हमलावर ने संजय गांधी पर गोलियां चलाई लेकिन उसका निशाना चूक गया और संजय गांधी बच गए.


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केबल में यह भी उल्लिखित है कि आपातकाल के दौरान जब कांग्रेस की साख पूरी तरह समाप्त हो गई तो अगले चुनावों में जीत जनता दल की हुई. सत्ता में आने के बाद जनता दल की ओर से भी कहीं भी इस हमले का जिक्र तक नहीं किया गया.


अमेरिकी खुफिया विभाग ने 6 सितंबर, 1976 को विदेश मंत्रालय को इस हमले से संबंधित जानकारी भेजी थी जिसमें इस हमले को एक सोची समझी साजिश करार दिया गया था. केबल में यह भी कहा गया था कि इस हमले में बाहरी शक्तियों का बहुत बड़ा हाथ था.


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इस हमले के बाद तत्कालिक प्रधानमंत्री और कांग्रेस मुखिया इन्दिरा गांधी की ओर से जो बयान आया वह वाकई हैरान करने वाला था. विकीलीक्स के अनुसार बेटे संजय गांधी पर हुए इस हमले के बाद इन्दिरा गांधी का कहना था कि संजय एक बहुत ही छोटी मछली थे, वह महत्वपूर्ण व्यक्तित्व वाले व्यक्ति भी नहीं थे, वह ना तो प्रधानमंत्री बन सकते थे और ना ही राष्ट्रपति, इसीलिए ये हमले उन्हें मारने के लिए नहीं बल्कि मुझे मारने के लिए हुए थे.



विकीलीक्स के एक अन्य खुलासे के अनुसार बंगाल के तत्कालीन प्रमुख नेता प्रियंजन दासमुंशी के अलावा केरल कांग्रेस के अध्यक्ष और वर्तमान केन्द्रीय रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने भी संजय गांधी की काफी आलोचना की थी. संजय गांधी जब सत्ता में आने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे थे, ताकत पाने के पूरी कोशिश कर रहे थे तब ए.के. एंटनी ने उनपर यह सवाल उठाया था कि उन्होंने देश और पार्टी के लिए क्या-क्या त्याग किए हैं?


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गांधी परिवार से संबंधित होने के कारण संजय गांधी उस समय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे, वह इन तीन हमलों से तो बचे लेकिन 1980 में हुई एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी. विकीलीक्स के ये खुलासे वाकई हैरान कर देने वाले हैं. यहां दो सवाल मुख्य सवाल उठते हैं कि इन्दिरा गांधी ने अपने छोटे बेटे संजय गांधी को एक गैर-महत्वपूर्ण व्यक्ति घोषित किया था तो क्या वह उनकी काबिलियत पर संदेह रखती थीं? दूसरा, तीन बार संजय को जान से मारने की कोशिश किसने की थी?



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