एक लेखक जैसा देखता और महसूस करता है, वही शब्दों में उतार देता है लेकिन किसी भी लेखक के लिए अपने करीबी या उस दोस्त के बारे में लिखना चुनौती से भरा हुआ होता है, जो किसी ऐसे पद पर आसीन हो, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी है। ऐसे में लेखनी के प्रति ईमानदार बने रहना उसकी प्राथमिकताओं में से एक होता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा की करीबी दोस्त रही लेखिका पुपुल जयकर ने उनकी बायोग्राफी लिखने में कुछ ऐसी ही चुनौती का सामना किया है। आज जयकर का जन्मदिन है, ऐसे में हम आपसे उनकी लिखी हुई किताब ‘इंदिरा गांधी बायोग्राफी’ में से एक किस्सा शेयर कर रहे हैं-
इंदिरा ने फिरोज गांधी से शादी की थी लेकिन उनकी जिंदगी में सबसे पहला इंसान थे एक जर्मन प्रोफेसर, जिन्होंने इंदिरा गांधी को 16 साल की उम्र में प्रोपोज किया था। उस वक्त उन प्रोफेसर की उम्र 34 साल थी।
इंदिरा की सुंदरता और बुद्धि के कायल थे प्रोफेसर
प्रोफेसर उन्हें अक्सर खूबसूरत और अनूठी लड़की कहकर पुकारते थे। इन प्रोफेसर साहब का नाम था फ्रैंक ऑबेरदॉर्फ। 1933 में नेहरू ने उन्हें मशहूर कवि रवींद्रनाथ टैगोर के स्कूल शांति निकेतन भेजा, जिससे कि उनकी बेटी की प्रतिभा में और निखार आ सके। यहीं पर सबसे पहले इंदिरा की फ्रैंक ऑबेरदॉर्फ की मुलाकात हुई।
जब प्रोफेसर ने कर दिया था प्रोपोज
इंदिरा की करीबी दोस्त रही पुपुल जयकर ने उनकी बायोग्राफी में लिखा है ‘ऑबेरदॉर्फ इंदिरा को जर्मन पढ़ाते थे। वे 1922 में साउथ अमेरिका में टैगोर से मिल चुके थे और भारतीय संस्कृति से प्रेम उन्हें 1933 में शांति निकेतन ले आया। इंदिरा तब 16 साल की थीं और वे 34 के, इंदिरा को देखते ही उनके होश उड़ जाया करते थे। वो काफी बोल्ड थे। एक दिन उन्होंने अपने मन की बात इंदिरा से कह दी।
इंदिरा मानती थी दोस्त, कर दिया इंकार
प्रोफेसर के मुंह से ये बात सुनकर इंदिरा ने कहा ‘देश की हालत बेहद गंभीर है और आप ऐसी बातें कर रहे हैं। आपको शोभा नहीं देता ये सब।’ इसके बाद इंदिरा प्रोफेसर से बहुत नाराज हुईं। फिर भी प्रोफेसर की भावनाओं को समझते हुए इंदिरा उन्हें दोस्त मानने लगी।
अपनी हर बात शेयर करने लगी प्रोफेसर से
इस घटना के बाद इंदिरा प्रोफेसर से हर बात शेयर करती थी। वो दोनों घंटों राजनीति, खेल, देश-दुनिया की बातें शेयर करते थे लेकिन दूसरी तरफ इंदिरा ने प्रोफेसर को एक बात भी साफ-साफ कह दी। इंदिरा ने कहा ‘मैं एक आम लड़की हूं कोई अनूठी नहीं। बस, आसाधारण पुरूष और अनूठी महिला की बेटी हूं।’ वक्त के साथ इंदिरा आगे बढ़ती गईं और ये कहानी धुंधला गई लेकिन एक किस्से के रूप में, ये जर्मन प्रोफेसर उनकी जिंदगी में हमेशा के लिए जुड़ गए।मशहूर लेखिका पुपुल जयकर की ‘इंदिरा गांधी बायोग्राफी’ में इस घटना का जिक्र किया गया है।…Next
सभी फोटो : इंटरनेट से
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