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शास्‍त्री ने पहले अपने बच्‍चों पर आजमाया, फिर देश को दिया एक दिन उपवास का नारा!

स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री साहसिक और दृढ़ इच्छाशक्ति के व्यक्ति थे। 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान उन्होंने सफलतापूर्वक देश का नेतृत्व किया। युद्ध के दौरान देश को एकजुट करने के लिए उन्होंने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया। आजादी से पहले उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन देश सेवा में समर्पित रहा। खाद्य समस्‍या से जूझ रहे देश को उन्‍होंने एक दिन उपवास का नारा दिया, जो इतिहास में एक महान कार्य के रूप में दर्ज हो गया। मगर ज्‍यादातर लोगों को नहीं पता होगा कि देश को यह नारा देने से पहले उन्‍होंने अपने बच्‍चों पर इसे आजमाया, उसके बाद देश से ऐसा करने को कहा। आज यानी 11 जनवरी को शास्‍त्री की पुण्‍यतिथि पर आपको इस किस्‍से के बारे में बताते हैं।


lalbahadur shashtri


पीएम का पद संभालते ही बड़ी मुश्किल से सामना

मई 1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद 9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री ने देश की कमान संभाली। शास्त्री को प्रधानमंत्री पद संभालने के साथ ही उस वक्त की सबसे बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा। 1965 आते-आते देश गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा था। कई राज्य सूखे की चपेट में थे। तब शास्त्री ने जो किया, वो शायद सिर्फ वही कर सकते थे। उनके बेटे अनिल शास्त्री ने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया।


Lal Bahadur Shastri


बच्‍चों को भूखे रखकर आजमाया!

अनिल ने बताया कि शास्त्रीजी ने एक दिन मेरी मां से कहा कि मैं देखना चाहता हूं कि मेरे बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। उन्होंने एक दिन शाम को कहा कि खाना न बने। मैं उस समय 14-15 साल का था। मेरे दो छोटे भाई भी थे। उस शाम हम तीनों बच्चे भूखे रहे। जब शास्त्रीजी को भरोसा हो गया कि हम सभी, यानी उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं, तब उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि हफ्ते में एक दिन भोजन न किया जाए।


lal bahadur shashtri


प्रधानमंत्री आवास के लॉन में खुद भी चलाया हल

शास्‍त्री के हफ्ते में एक दिन उपवास के नारे को देश ने बेहद गंभीरता से लिया। उनकी एक फोटो काफी चर्चित है, जिसमें वे प्रधानमंत्री आवास के लॉन में ही हल चलाते नजर आ रहे हैं। उस दौरान वे चाहते थे कि इस अनाज संकट के दौर में देशवासी खाली पड़ी जमीन पर अनाज या सब्जियां जरूर पैदा करें। उस समय शास्‍त्री का यह नारा काफी चर्चित रहा और देश ने प्रधानमंत्री शास्‍त्री की बात को माना। अपने बच्‍चों को उपवास कराने के बाद देश को उपवास का नारा देने से उनके जबरदस्‍त देश प्रेम की भावना स्‍पष्‍ट झलकती है।


Pandit Jawaharlal Nehru-Lal Bahadur Shastri


जब कश्‍मीर जाने के लिए किया मना

शास्‍त्री ने बड़ी सादगी व ईमानदारी के साथ अपना जीवन जिया और देशवासियों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने। उनकी सादगी के कई किस्से मशहूर हैं। बताया जाता है कि एक बार पंडित नेहरू ने उन्हें किसी काम से कश्मीर जाने को कहा, तो शास्त्री ने इससे इनकार कर दिया। हालांकि, नेहरू को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। जब उन्होंने शास्‍त्री से मना करने का कारण पूछा, तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। उन्‍होंने बताया था कि उनके पास कश्मीर की सर्दी झेलने लायक गरम कोट नहीं है…Next


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