राजनीति में कभी-कभी ऐसा होता है कि गंभीर मुद्दों के बीच कोई ऐसा किस्सा हो जाता है जिससे माहौल ठहाकों से गूंज पड़ता है। डॉनल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें अधिवेशन में ऐसी बातें कही, जिसे सुनकर यूएन में बैठे लोग हंसने लगे।
ट्रंप ने कहा “ईरान का नेतृत्व अपने पड़ोसी देशों, उनकी सीमाओं और संप्रभुता का सम्मान नहीं करता। ईरान के नेता देश के संसाधनों का इस्तेमाल ख़ुद को अमीर बनाने और मध्य-पूर्व में अफरा-तफरी मचाने के लिए कर रहे हैं।”
ट्रंप ने ये भी कहा कि उनके प्रशासन ने अमरीका के इतिहास में ‘किसी और से ज्यादा’ काम पूरे किए हैं। इस बात को सुनते ही वहां मौजूद लोग हंसने लगे।
इससे पहले भी यूएन में भाषण देने वाले ऐसे कई नेता रहे हैं, जिनके भाषण किसी खास वजह से आज भी याद किए जाते हैं।
वीके कृष्णा मेनन
तत्कालीन रक्षामंत्री वीके कृष्णा मेनन ने 1962 में कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान के रूख के बारे में अपनी बात रखी थी। लगभग 8 घंटे के लम्बे भाषण के दौरान वीके कृष्णा इतने जोश में बोल रहे थे कि उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया। जिसकी वजह से उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल कराना पड़ा था।
ह्यूगो चावेज
वेनजुएला के तत्कालीन राष्ट्रपति ह्यूगो ने 2006 में ऐसे क्रांतिकारी अंदाज में भाषण दिया था, जिसपर कुछ लोगों ने ठहाके लगाए तो कुछ लोगों ने तालियां बजाते हुए उनके विरोध को समर्थन दिया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के भाषण के दूसरे दिन ह्यूगो ने मंच की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि “यहां कल एक राक्षस आया था। इसी मंच पर वो यहां खड़ा था। उसकी स्पीच का विश्लेषण करने के लिए किसी मनोवैज्ञानिक को बुलाना चाहिए” बुश पर ये टिप्पणी सुनकर कुछ लोग हंस पड़े थे।
मुहम्मद गद्दाफी
लीबिया के तत्कालीन राष्ट्रपति गद्दाफी ने 2009 में यूएन में भाषण देते वक्त इसे ‘यूएन कॉसिल’ की जगह ‘टेरर कॉसिल’ करार दिया था। जिसके बाद सबने डेस्क बजाकर गद्दाफी के शब्दों का विरोध जताया था।
निकिता ख्रुशचेव
सोवियत संघ के राष्ट्रपति 1960 में यूएन में उपनिवेशवादियों और उपनिवेशवाद के विरूद्ध दिए गए अपने जोशीले भाषण के दौरान निकिता ने अपने जूते उतारकर मंच पर पीटते हुए विरोध जताया था। आज भी उनके विरोध का तरीका बेहद याद किया जाता है…Next
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