अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता तमिलनाडु की सियासत में सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थीं। जयललिता पांच बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। राजनीति में आने से पहले अम्मा बतौर अभिनेत्री फिल्मों में काम करती थीं। तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने-माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना कॅरियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया था। धर्मेंद्र सहित कई अभिनेताओं के साथ काम किया, लेकिन उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आई थीं। एक समय सियासत में अपनी हनक रखने वाली जयललिता ने भी बड़ी मुश्किलों का सामना किया था। उनकी जिंदगी में बुरे दौर भी आए थे, लेकिन वो कभी टूटी नहीं। एक बार उनके चेहरे को छोड़कर पूरे शरीर पर हमला हुआ, लेकिन वे पीछे नहीं हटी थीं। 24 फरवरी यानी आज जयललिता की जन्मतिथि है। आइये इस मौके पर आपको उस किस्से के बारे में बताते हैं कि उन पर ऐसा हमला क्यों हुआ था।
जयललिता ने इंटरव्यू में किया था खुलासा
ये घटना है 24 दिसंबर 1987 की, जिस दिन तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन का निधन हुआ था। एक इंटरव्यू में जयललिता ने खुलासा किया था कि 24 दिसंबर की सुबह उनकी एक मित्र ने उन्हें बेहद चौंकाने वाली खबर दी कि एमजीआर अब नहीं रहे। वे जल्द ही थोट्टम यानी एमजीआर के घर पहुंचीं। उन्होंने बताया था कि मुझे घर के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। मैं अपनी कार से बाहर आई और चलते हुए घर के मेन दरवाजे पर पहुंची। कुछ देर तक अपने हाथों से मेनगेट पीटती रही, तो गेट खुला। इसके बाद मुझे वहां से हटाने की तमाम कोशिशें शुरू हो गईं।
उन्हें रोकने के लिए बंद किए जा रहे थे घर दरवाजे
जयललिता ने बताया था कि वे एमजीआर के पार्थिव शरीर को देखने के लिए उनके घर में इधर-उधर भाग रही थीं। उन्हें रोकने के लिए घर के सभी दरवाजे बंद किए जा रहे थे। अंत में तीसरे और सबसे ऊपरी मंजिल पर एमीजीआर के कमरे के गेट के सामने पहुंचकर खड़ी हो गईं। वहां उन्हें पता चला कि उनके पार्थिव शरीर को पिछले दरवाजे से राजाजी हॉल ले जाया जा रहा है। इसके बाद अपनी कार से उस एंबलेंस का पीछा करते हुए वहां पहुंचीं, जिसमें एमजीआर का पार्थिव शरीर था। राजाजी हॉल में जयललिता पहले दिन 13 घंटे और दूसरे दिन 8 घंटे लगातार एमजीआर के पार्थिव शरीर के पास रही थीं। हालांकि, वहां उन्हें यातनाओं का सामना करना पड़ा था।
अलग-अलग तरह से किया गया था प्रताड़ित
अम्मा ने खुलासा किया था कि वहां उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने बताया था कि 7-8 महिलाएं दूसरे दिन सुबह वहां पहुंचीं और मेरे इर्द-गिर्द भटकने लगीं। वे मेरे पैर को अपने पैर से दबाने लगीं, मुझे धक्के देने लगीं, अपने नाखून मेरे स्किन में चुभाए और अलग-अलग तरह से मुझे प्रताड़ित करती थीं। मेरे चेहरे को छोड़कर वे मेरे पूरे शरीर पर हमला कर रही थीं। अम्मा का कहना था कि चेहरे पर इसलिए हमला नहीं करतीं, क्योंकि इससे लोगों को पता चल जाता। इतना ही नहीं, जब राजाजी हॉल से एमजीआर के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तब भी उन्हें रोका गया था।
हमले की वजह से आई थी काफी चोट
पहना हुआ एक युवक गन-कैरिज पर कूदा और मेरे सिर पर हमला करके मुझे वहां से हटा दिया। हालांकि, जयललिता ने दोबारा गन-कैरिज पर चढ़ना शुरू किया था, लेकिन एमजीआर की पत्नी जानकी का भतीजा दीपन फिर वहां आ गया और उन हमला करने लगा। जयललिता को वहां से जबरदस्ती हटा दिया गया था। हमले की वजह से उन्हें काफी चोटें आई थीं। इस मामले को लेकर उनका कहना था कि एमजीआर के परिवार के लोग नहीं चाहते थे कि मैं अंतिम संस्कार में शामिल रहूं। इसी वजह से मुझे लगातार रोका जा रहा था…Next
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