Menu
blogid : 321 postid : 1390109

कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहती थीं इंदिरा गांधी, जानें एमपी के नए मुख्यमंत्री से जुड़े किस्से

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सीएम पद के लिए चल रही रेस में बाजी कमलनाथ के हाथ लगी और अब 15 साल बाद वह सूबे के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री होंगे। ऐसे में आम जनता के बीच कमलनाथ को जानने और उनसे जुड़े किस्से जानने की उत्सुकता बढ़ गई है।
मप्र के विधानसभा चुनाव से पहले इसी साल मई में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था। वे छिंदवाड़ा से नौ बार के सांसद हैं। कानपुर में जन्मे कमलनाथ कांग्रेस के उन मौजूदा नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ी के साथ काम किया है। ऐसे में आइए, जानते हैं उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal14 Dec, 2018

 

 

कपूर स्कूल में हुई थी कमलनाथ से मुलाकात
कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। कमलनाथ देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे हैं। कहा जाता है कि दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह संजय गांधी के संपर्क में आए थे और वहीं से राजनीति में एंट्री की नींव तैयार हुई थी। राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया।

 

इंदिरा गांधी ने अपना तीसरा बेटा
इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं। इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं। कृपया उन्हें वोट दीजिए। इसके बाद राजनीति के गलियारों में काफी हड़कंप मच गया था। इंदिरा के विरोधियों ने उनपर निशाना साध दिया था।

 

 

सिख विरोधी दंगों में आ चुका है नाम
संजय गांधी की मौत और उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या ने कमलनाथ के राजनीतिक करियर के उठान पर असर ज़रूर डाला लेकिन वे कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति प्रतिबद्ध बने रहे। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में उनका नाम भी आया था लेकिन उनकी भूमिका सज्जन कुमार या जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं की तरह स्पष्ट नहीं हो सकी।
कमलनाथ पर आरोप है कि वे एक नवंबर, 1984 को नई दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में उस वक्त मौजूद थे जब भीड़ ने दो सिखों को जिंदा जला दिया था। जबकि कमलनाथ ने एक इंटरव्यू में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि “मैं वहां मौजूद था क्योंकि मेरी पार्टी ने मुझे वहां पहुंचने को कहा था, गुरुद्वारे के बाहर भीड़ मौजूद थी, मैं उन्हें हमला करने से रोक रहा था। पुलिस ने भी मुझसे भीड़ को नियंत्रित करने की गुजारिश की थी।”

 

 

‘वक्त है बदलाव का’ नारा देने वाले कमलनाथ
अभियान के जोर पकड़ने पर पार्टी की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राज्य कांग्रेस ने ‘वक्त है बदलाव का’ नारा दिया। कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में चौहान के उन वादों पर फोकस किया जिन्हें पूरा नहीं किया जा सका। पार्टी ने चौहान को घोषणावीर बताया जिसके बाद सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई।

फिलहाल, एमपी में कमलनाथ जनता के बीच किस वजह से जाने जाएंगे, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा…Next

 

 

Read More :

मध्यप्रदेश चुनाव : चुनावी अखाड़े में आमने-सामने खड़े रिश्तेदार, कहीं चाचा-भतीजे तो कहीं समधी में टक्कर

इस विधानसभा सीट पर सिर्फ 3 वोटों के अंतर से हुआ हार-जीत का फैसला, फिर से कराई गई थी गिनती

वो नेता जो पहले भारत का बना वित्त मंत्री, फिर पाकिस्तान का पीएम

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh