Menu
blogid : 321 postid : 1319

मोदी का जादू चलेगा !!

images (4)कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सरकार बनाने के लिए सीधी टक्कर अभी से दिखने लगी है. सीएनएन-आईबीएन और द वीक के लिये सेंटर फॉर दी स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा की गई सर्वे रिपोर्ट 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी से मजबूत स्थिति में बताती है. 10-17 अप्रैल तक 4198 लोगों के बीच 224 सीटों के लिये किये गए इस अध्ययन में जहां कांग्रेस को 117-129 सीटें (37%) मिलने की संभावना है वहीं भाजपा को केवल 39-40 (23%) सीट. इनके अलावे जनता दल (सेकुलर) (जेडीएस) 34-44 सीट (20%) तथा अन्य के 14-22 सीटों (13%) पर जीत की संभावना है. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा से अलग हो अपनी स्वतंत्र पार्टी कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) बनाने वाले बी. एस. यदुयुरप्पा को भी 14-22 सीटें (7%) मिलने की संभावना है. सीएसडीएस के इस सर्वे में जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. क़ुमारस्वामी 18 प्रतिशत वोट के साथ इस बार मुख्यमंत्री पद के लिये सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार माने गए. इससे पहले हेडलाइन टुडे और सी-वोटर द्वारा कराये गए सर्वे में भाजपा की सीएसडीएस के सर्वे की तुलना में अच्छी स्थिति दिखाई देती है जिसमें कांग्रेस के 118 सीटों के मुकाबले इसे 52 (26%) सीटें मिलने की संभावना दिखाई देती है.


Read: पति की जायदाद में पत्नी की हिस्सेदारी के तमाम पहलू



कर्नाटक विधानसभा चुनाव: एक नजर

कर्नाटक में पिछले चुनाव (2008) में बीजेपी और कांग्रेस को मिली सीटों में ज्यादा फर्क नहीं था. कांग्रेस और बीजेपी को मिली क्रमश: 35 और 34 प्रतिशत सीटों के बाद दोनों ही लगभग समान आधार पर थे. हालांकि बीजेपी बाद में और सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही पर वोटों के आधार पर कर्नाटक की जनता में उसकी लोकप्रियता का स्तर कॉंग्रेस से लगभग एक ही कहा जा सकता है. ऐसे में सरकार के कार्यकाल समाप्ति पर सर्वे में सामने आई 11 प्रतिशत की यह गिरावट बीजेपी सरकार के प्रति जनता का असंतोष ही जाहिर करती है.


एसएमएस से ज्यादा आसान लगता है युवाओं को व्हाट्स ऐप


यह गिरावट क्यों आई इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं पर जो बात सबसे पहले सामने आती है वह यह कि 2008 के चुनावों में बीजेपी ने जीत तो हासिल कर ली लेकिन 5 सालों के कार्यकाल में मुख्यमंत्री पद पर कई अलग चेहरे आये( यदुरप्पा, सदानंद गौड़ा और वर्तमान मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर). सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में भी फंसी जबकि जनता हमेशा एक साफ-सुथरी छवि वाली और स्थिर सरकार चाहती है. पूरे कार्यकाल में भाजपा एक प्रकार से अपने आंतरिक मुद्दों में ही उलझी नजर आई. बार-बार मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से स्थिर सरकार देकर भी भाजपा एक स्थिर सरकार की छवि नहीं बना पाई जो शायद लोगों के दिल में इस सरकार के प्रति विश्वास की कमी का कारण रही.


विवाह कानून (संशोधन) विधेयक, 2010 पर मतभेद


वर्तमान राजनीति

5 मई को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने की घोषणा हो चुकी है. सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव-प्रचार में जुटी हैं. पर चुनाव से ठीक पहले का यह सर्वे बीजेपी को इस चुनाव के नतीजों के लिये चिंतित होने का कारण दे गई. अभी हाल में अपने चुनाव प्रचार के लिये बीजेपी ने मोदी को उतारा. बंगलुरू में नेशनल कॉलेज ग्राउंड में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी के अंदाज को वहां जनता के बीच काफी पसंद किया गया. इससे बीजेपी कार्यकर्ता अपने चुनावी नतीजों के लिए पहले से अधिक उत्साहित नजर आ रहे हैं. इस पोल रिपोर्ट के बाद चुनावी नतीजों को अपने पक्ष में होने और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बना पाने के लिये आशान्वित कांग्रेस पार्टी भी मोदी के चुनाव-प्रचार अभियान में भाग लेने से थोड़ी शंकित नजर आ रही है. मोदी की लोकप्रियता से तो सभी वाकिफ हैं. दिल्ली में अपने भाषण से युवा आइकन बने मोदी बीजेपी के अगले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार समझे जा रहे थे पर कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच गोधरा के दंगों की याद ताजा होने के कारण उनकी उम्मीदवारी पर शंका जताई जाती रही है. कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता भी कुछ ऐसा ही मानते हुए अपने चुनाव प्रचार अभियान में मोदी को उतारना नहीं चाहते थे पर मोदी के चुनावी अभियान में भाग लेने पर जनता के सकारात्मक रुख से उनमें उम्मीद की किरण नजर आई है. पोल्स भी कहते हैं कि मोदी का चुनाव प्रचार भाजपा की सीटें बढ़ा सकता है. कांग्रेस के कुछ नेताओं का भी ऐसा ही मानना है.


बलात्कार की घटनाओं में असमान लिंग अनुपात की भूमिका


बहरहाल जनता जनार्दन का फैसला जो भी हो, वही सर्वमान्य है. पोल की यह रिपोर्ट जनता के बीच पार्टी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री पद के लिये लोकप्रिय चेहरे की रिपोर्ट अलग-अलग है, तो जनता का फैसला किसके पक्ष में होगा यह कहना मुश्किल है. एक और बात जो यहां है वह है नेताओं की करोड़ों की संपत्तियां. निचले तबके की जनता में शायद इसके लिए ज्यादा जागरुकता न हो पर पढ़े-लिखे मध्यम और उच्च वर्ग के लिये नेताओं और पार्टियों की विश्वसनीयता परखने का यह एक आधार हो सकता है. बहरहाल सर्वे रिपोर्ट को चुनावी नतीजों के पूर्व-आंकलन का विश्वसनीय आधार भी नहीं माना जा सकता. ऐसे नतीजे कई बार उलट भी पाए गए है पर कयासों की इस राजनीति में भाजपा की डूबती नैया को मोदी पार लगा पाते हैं कि नहीं यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे.

Read:

क्या पीएम को निर्दोष बताने वाली जेपीसी रिपोर्ट भरोसेमंद है?

ममता का भतीजा चिट फंड कंपनी का मालिक !!

सुरक्षा नियमों का पालन तो करना ही था

काले धन से फलता-फूलता है चिट फंड कारोबार



Tags: CSDS , Bharatiya Janata Party , Karnataka Janata Party , CNN-IBN , Congress party in Karnataka, Karnataka Assembly Election 2013 , pre-election surveys, CSDS survey, BJP in karnataka, Janata Dal-S, Karnataka Janata Party, Karnataka’s Former CM Sadanand Gowda,  Yeddyurappa, Karnataka Election Watch, Karnataka poll, Narendra Modi indian national congress in karnataka, pre-poll survey, cnn-ibn-the week pre-poll survey


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh