बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी ने लगातार तीसरी बार चुनावों में जीत हासिल की है। वह 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं। हसीना की सत्तारुढ़ पार्टी आवामी लीग ने 350 संसदीय सीटों में से 281 पर जीत दर्ज की है और उन्होंने पिछले चुनावों से अधिक सीटें जीती हैं।
वहीं, बांग्लादेश के विपक्षी दलों ने इस आम चुनावों की निंदा की है और इसे ‘हास्यास्पद’ बताया है। विपक्षी दलों ने फिर से मतदान कराने की मांग की है। विपक्ष ने कुल सात सीटों पर जीत दर्ज की है। आवामी लीग ने देश के अल्पसंख्यक समुदाय के 18 उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा था। अल्पसंख्यक उम्मीदवारों में ज़्यादातर हिंदू हैं। सभी अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने अपनी सीटें जीत ली हैं। पिछली बार की तरह 11वीं संसद में भी 18 अल्पसंख्यक समुदाय के सांसद हैं। बांग्लादेश की संसद में पहुंचने वाले तीन हिन्दू सांसद मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
आइए, जानते हैं कौन हैं वो सांसद।
बीरेन सिकदर
पिछली सरकार में बीरेन सिकदर खेल और युवा मामलों के मंत्री थे। बांग्लादेश की राजशाही यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल करने वाले सिकदर पेशे से वकील रहे हैं। जातीय संसद के सदस्य की हैसियत से सिकदर कई अहम संसदीय समितियों के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा, टेक्सटाइल और जूट मिनिस्ट्री की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी के वे अध्यक्ष रह चुके हैं।
रमेश चंद्र सेन
10वीं जातीय संसद के सदस्य रहे रमेश चंद्र सेन बांग्लादेश के जल संसाधन और खाद्य मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं। शेख हसीना की पार्टी में उनकी अहमियत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वे आवामी लीग की सेंट्रल कमिटी के सदस्य भी हैं।
जया सेनगुप्ता
जया सेनगुप्ता बांग्लादेश की संसद में अल्पसंख्यक समुदाय के बीच से इकलौती महिला सांसद हैं। वे आवामी लीग के मरहूम सीनियर लीडर सुरनजीत सेनगुप्ता की पत्नी हैं। जया सेनगुप्ता पति की मौत से खाली हुई सुनामगंज सीट से पहली बार बांग्लादेश की संसद के लिए मार्च, 2017 में चुनी गई थीं। राजनीति में कदम रखने से पहले जया एक गैर सरकारी संगठन के लिए काम करती थीं…Next
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