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केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने इंदिरा सरकार के विरोध से शुरू किया था राजनीतिक जीवन, जानें उनके बारे में खास बातें

भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक रविशंकर प्रसाद का आज जन्‍मदिन है। इनका जन्‍म 30 अगस्‍त 1954 को पटना में हुआ था। रविशंकर भारतीय राजनीति में जितना जाना-माना नाम हैं, उतने ही चर्चित वकील भी हैं। इंदिरा सरकार के विरोध से राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले रविशंकर आज देश के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी और विधि एवं न्याय मंत्री हैं। राज्‍यसभा सदस्‍य रविशंकर प्रसाद वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।


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पिता थे जनसंघ के संस्‍थापक सदस्‍य

रविशंकर का जन्म बिहार में पटना के एक प्रसिद्ध कायस्‍थ परिवार में हुआ। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बीए (ऑनर्स), एमए (राजनीति विज्ञान) और एलएलबी की पढ़ाई की। इनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना उच्‍च न्‍यायालय के प्रतिष्ठित वकील और तत्कालीन जनसंघ (वर्तमानकाल में भाजपा) के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे। रविशंकर की पत्नी डॉ. माया शंकर पटना विश्वविद्यालय, बिहार में इतिहास की प्राध्यापिका हैं।


छात्र आन्दोलन के दौरान गए जेल

प्रसाद ने 1970 के दशक में इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। आपातकाल के दौरान जयप्रकाश की अगुवाई में उन्होंने बिहार में छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया और जेल भी गए। वे कई वर्षों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े रहे और संगठन में विभिन्न पदों पर रहे। छात्र जीवन में वे पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के सहायक महासचिव और विश्वविद्यालय की सीनेट तथा वित्त समिति, कला और विधि संकाय के सदस्य रहे।


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कई चर्चित मामलों में रहे वकील

रविशंकर प्रसाद सुप्रीम कोर्ट में पेशेवर वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। इन्होंने 1980 में पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की थी। पटना उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा इन्हें वर्ष 1999 में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। सन् 2000 में इनका नामांकन सर्वोच्च न्ययायालय में हुआ। बिहार के पूर्व मुख्यमन्त्री लालू प्रसाद यादव के विरुद्ध चर्चित चारा और कोलतार घोटाले में जनहित याचिका पर बहस करने वाले वे प्रमुख वकील थे। प्रसाद पटना उच्च न्यायालय में कई मामलों में पूर्व उप-प्रधानमन्त्री लालकृष्‍ण आडवाणी के वकील भी रहे। रविशंकर प्रसाद नर्मदा बचाओ आन्दोलन मामला, टीएन थिरुमपलाड बनाम भारत संघ, रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ (बिहार विधानसभा भंग मामला) तथा भारत में चिकित्सा शिक्षा पर प्रो. यशपाल का मामला समेत कई चर्चित मामलों के वकील रहे हैं। सन् 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ में लम्बे समय से चल रहे अयोध्‍या मामले के तीन अधिवक्ताओं में से एक प्रसाद भी थे।


वायपेयी सरकार में रह चुके हैं मंत्री

सितंबर 2001 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रविशंकर को कोयला एवं खान राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। जुलाई 2002 में इन्हें कानून एवं न्याय राज्य मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। जनवरी 2003 में इन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। प्रसाद ने भारत में केबल टेलीविजन संबंधी सुधारों का बीड़ा उठाते हुए देश में डिजिटल टीवी युग की शुरुआत की। भारत में डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेटेलाइट प्रसारण सेवाओं को शुरू करने का श्रेय प्रसाद को ही जाता है।


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पार्टी में कई महत्‍वपूर्ण पद संभाले

रविशंकर प्रसाद ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभाग के प्रमुख सहित राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की अत्यंत महत्वपूर्ण संगठनात्मक जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। वे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों एवं संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।


विचाराधीन बंदियों के हितों के लिए किया कार्य

रविशंकर मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं। एक वकील के रूप में इन्होंने विचाराधीन बंदियों के हितों के लिए कार्य किया और कुछ विशेष व महत्वपूर्ण मामलों पर बहस भी की। इन्होंने देश की राजनीति में नैतिकता एवं निष्पक्षता पर विशेष बल दिया। साथ ही नागरिकों एवं प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए भी लड़ाई लड़ी है।


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इन महत्‍वपूर्ण पदों पर रहे हैं रविशंकर


1991 से 1995 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष।

1995 के बाद से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य।

अप्रैल 2000 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित।

मई 2000-2001 में वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति, पेट्रोलियम एवं रसायन, सभासद समिति के सदस्य।

1 सितम्बर 2001 से 29 जनवरी 2003 तक कोयला और खान मंत्रालय में राज्य मंत्री।

1 जुलाई 2002 से 29 जनवरी 2003 तक विधि और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री (अतिरिक्त प्रभार)।

29 जनवरी 2003 से मई 2004 तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)।

मई 2000 से अगस्त 2001 तक एवं जुलाई 2004 से अगस्त 2006 तक नियम समिति के सदस्य।

अगस्त 2004 से 2006 तक मानव संसाधन विकास संबंधी समिति के सदस्य।

सितम्बर 2004 से अप्रैल 2006 तक सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना समिति (राज्यसभा) के सदस्य।

अक्टूबर 2004 से 2006 तक वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य।

नवम्बर 2004 से मई 2009 तक मानव संसाधन विकास संबंधी समिति विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा पर उप-समिति के सदस्य।

मार्च 2006 से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता।

अप्रैल 2006 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित (दूसरी बार)।

अगस्त 2006 से मई 2009 तक और अगस्त 2009 से अगस्त 2011 तक सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी समिति के सदस्य।

सितम्बर 2006 से विशेषाधिकार समिति के सदस्य।

सितम्बर 2006 से मई 2009 तक विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य।

अगस्त 2009 से 2012 तक वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य।

अक्टूबर 2009 से अप्रैल 2012 तक संवैधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के कार्यकारी परिषद के सदस्य।

दिसम्बर 2009 से नवंबर 2011 तक पुस्तकालय समिति के सदस्य।

अगस्त 2010 से अप्रैल 2012 तक दिल्ली विश्वविद्यालय राजसभा के सदस्य।

मार्च 2011 से दूरसंचार लाइसेंस और स्पेक्ट्रम के आवंटन व मूल्य निर्धारण से संबंधित मामलों की जांच के लिए गठित जेपीसी के सदस्य।

अप्रैल 2012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित (तीसरी बार)।

मई 2012 से वित्तीय समिति के सदस्य।

अगस्त 2012 से व्यापार सलाहकार समिति एवं लाभ के पदों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य।

दिसम्बर 2012 से आचारसंहिता समिति के सदस्य।

मई 2013 से विशेषाधिकार समिति के सदस्य।

27 मई 2014 से संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और कानून एवं न्याय मंत्री।


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